1. हिन्दी समाचार
  2. एजुकेशन
  3. जानिए कौन है बिहार का सबसे बड़ा जिला और क्या है इसकी खासियत, सीता मां से पुराना नाता…

जानिए कौन है बिहार का सबसे बड़ा जिला और क्या है इसकी खासियत, सीता मां से पुराना नाता…

पश्चिमी चंपारण,जो कि इस वक्त बिहार का सबसे बड़ा जिला है, बीरगंज से सिर्फ 60 किमी पश्चिम में स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग 5228 वर्ग किलोमीटर का है। और 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 3,935,042 है। जिसके कारण इस जिले को भारत मे 640 में से 63वां स्थान मिलता है। यहाँ की मुख्य भाषा भोजपुरी और हिंदी है। पश्चिम चंपारण उत्तर में नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र से घिरा हुआ है,

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

 

रिपोर्ट: अनुष्का सिंह

 

नई दिल्ली: महावीर का जन्म स्थल और बौद्ध  का ज्ञान स्थल बिहीर, जहाँ का सबसे बड़ा जिला पश्चिम चंपारण है। चंपारण की स्थापना अंग्रेजों के समय सन 1866 मे हुई थी जिसके बाद प्रशासनिक सुविधा के लिए सन 1972 में इसका विभाजन कर पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण बना दिए गया।

पश्चिमी चंपारण,जो कि इस वक्त बिहार का सबसे बड़ा जिला है, बीरगंज से सिर्फ 60 किमी पश्चिम में स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग 5228 वर्ग किलोमीटर का है। और 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 3,935,042 है। जिसके कारण इस जिले को भारत मे 640 में से 63वां स्थान मिलता है। यहाँ की मुख्य भाषा भोजपुरी और हिंदी है। पश्चिम चंपारण उत्तर में नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र से घिरा हुआ है,

दक्षिण में यह गोपालगंज और पूर्वी चंपारण जिले के हिस्सा से, पूर्व में यह पूर्वी चंपारण और पश्चिम मे उत्तर प्रदेश के पडरौना और देवरिया जिलों से घिरा हुआ है।

पश्चिमी चंपारण

यह वही कर्मभूमी है जहाँ महात्मा गांधी ने स्न1917 में राष्ट्रवादियों राजेंद्र प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिन्हा और ब्रजकिशोर प्रसाद के साथ चंपारण सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था। साथ ही यह शहर कवि गोपाल सिंह नेपाली का जन्मस्थान भी है।

यहाँ पर कई पर्यटन स्थल भी हैं। यहाँ की अत्यधिक उपजाऊ मैदानों और हरे भरे जंगलों में प्रकृति की सुंदरता को देखा जा सकता है। इस क्षेत्र के घने जंगलों और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में कई प्रकार के जंगली जानवर और पक्षी रहते हैं।

पश्चिम चंपारण आने वाले पर्यटकों को प्रकृति को पुरी तरह से महसूस करने और जीने का एक अद्भुत मौका देता है।, जो इस जिल के पूरे विस्तार में फैला हुआ है। यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का है जब मौसम सुहावना होता है और इस समय शहर घूमना आपके लिए आनंददायक होगा। वाल्मिकीनगर राष्ट्रीय उद्यान के एक छोड़ पर महर्षि बाल्मिकी का वह आश्रम है जहाँ राम के त्यागे जाने के बाद देवी सीता ने आश्रय लिया था। सीता ने यहीं अपने ‘लव’ और ‘कुश’ दो पुत्रों को जन्म दिया था। महर्षि वाल्मिकी ने हिंदू महाकाव्य रामायण की रचना भी यहीं की थी। और साथ ही एक ओर नेपाल का त्रिवेणी गाँव तथा दूसरी ओर चंपारण का भैंसालोटन गाँव के बीच नेपाल की सीमा पर बाल्मिकीनगर से ५ किलोमीटर की दूरी पर त्रिवेणी संगम है। यहाँ गंडक के साथ पंचनद तथा सोनहा नदी का मिलन होता है। साथ ही गौनहा प्रखंड के भितहरवा गाँव के एक छोटे से घर में ठहरकर महात्मा गाँधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी। उस घर को आज भितहरवा आश्रम कहा जाता है। आश्रम से कुछ ही दूरी पर रामपुरवा में सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए दो स्तंभ है जो शीर्षरहित है। इन स्तंभों के ऊपर बने सिंह वाले शीर्ष को कोलकाता संग्रहालय में तथा वृषभ (सांढ) शीर्ष को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है।

कुल मिलाकर के यहाँ आने वाले पर्यटनो के लिये एक सुखद और अनुभवी सफर होता है। और अगर आप यहाँ आऐंगे तो अपने साथ मनोहर र्स्मती और ठेर सारा अनुभव लेकर जाऐँगे।

 

 

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...