पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी को कभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का फायर ब्रांड नेता माना जाता था। लेकिन अब वरुण गांधी ज्वलंत मुद्दों को लेकर लगातार ट्वीट कर रहे है और अपनी सरकार के खिलाफ असहज करने वाले सवाल उठा रहे हैं।
नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ और किसान आंदोलन के समर्थन में आवाज बुलंद करने वाले भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एमएसपी गारंटी के लिए प्राइवेट बिल पेश करने की मंजूरी मांगी है। बता दें कि वरुण गांधी पहले भी अपनी ही सरकार के खिलाफ किसानों के हक में आवाज उठा चुके हैं। ऐसे में जहां केंद्र सरकार ने कृषि कानून को वापस ले लिया है तो वहीं बीजेपी सांसद ने एमएसपी गारंटी बिल को लेकर खुलकर सामने आ गये हैं।
बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक साल से किसान संगठन कृषि कानूनों की वापस को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। जिसपर केंद्र सरकार ने इन कानूनों को वापस ले लिया है। वहीं अब किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार एमएसपी गारंटी कानून बनाये। हालांकि इस मुद्दे पर किसान संगठन और सरकार में मतभेद बना हुआ है।
प्राइवेट मेंबर बिल: बता दें कि संसद के किसी भी सदन का कोई भी सदस्य एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश कर सकता है। 1952 के बाद से एक दर्जन से अधिक इस तरह के विधेयकों को संसद में मंजूरी मिली। एक निजी विधेयक की स्वीकार्यता राज्यसभा में सभापति (उपराष्ट्रपति) और लोकसभा में स्पीकर द्वारा होती है। इन विधेयकों को शुक्रवार को लिया जाता है।
पीएम की घोषणा के बाद वरुण गांधी ने लिखा था पत्र: गौरतलब है कि पीएम मोदी ने 19 नवंबर को देश को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। इसके अगले ही दिन भाजपा सांसद वरुण गांधी ने एक पत्र के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनाने और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।
बता दें कि लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को चार किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के बेटे को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
वरुण गांधी कई बार किसानों की मांग का समर्थन कर अपनी ही सरकार को मुश्किलों में डाल चुके हैं। बता दें कि पार्टी स्टैंड से अलग जाकर भाजपा सांसद ने किसानों के समर्थन में अपनी बात रखी है। इससे पहले उन्होंने कहा था कि बिना एमएसपी के आंदोलन खत्म नहीं होने वाला। इसके बिना व्यापक रोष बना रहेगा, जो किसी न किसी रूप में सामने आता रहेगा। किसानों को एमएसपी की वैधानिक गारंटी मिलना बहुत जरूरी है।