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हंगामे की भेंट चढ़ा मानसून सत्र का दूसरा दिन, बीजेपी ने की तेजस्वी के इस्तीफे की मांग

बिहार विधानसभा में मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विपक्षी दलों ने ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में सदन में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग की। जिसको लेकर सदन में जोरदार हंगामा हुआ। बीजेपी के विधायकों ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही वेल में पहुंचकर जमकर हंगामा किया। हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। बता दें कि 'लैंड फॉर जॉब' मामले में CBI ने चार्जशीट दाखिल की है। इसमें तेजस्वी यादव का नाम आरोपी के तौर पर शामिल किया गया है।

By RNI Hindi Desk 
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पटना: बिहार विधानसभा में मॉनसून सत्र के दूसरे दिन विपक्षी दलों ने ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में सदन में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग की। जिसको लेकर सदन में जोरदार हंगामा हुआ। बीजेपी के विधायकों ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही वेल में पहुंचकर जमकर हंगामा किया। हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। बता दें कि ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में CBI ने चार्जशीट दाखिल की है। इसमें तेजस्वी यादव का नाम आरोपी के तौर पर शामिल किया गया है। इसी मामले को लेकर बीजेपी लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हैं और लगातार तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग कर रही है।

उधर बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि चार्जशीट में उनका नाम जान-बूझकर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोगों को बिहार के विकास और बिहार के लोगों की चिंता नहीं है। उन्हें नियमानुसार सदन की कार्यवाही चलने देनी चाहिए। हंगामे के नाम पर बीजेपी विधायक टेबल-कुर्सी पटक रहे हैं। बिहार की जनता सब देख रही है। वहीं बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर निशाना साधा है। बीजेपी ने कहा कि मुख्यमंत्री भ्रष्टचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति की बात कह रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से नीतीश ने FIR होने पर इस्तीफा लिया था। वहीं मंजू वर्मा और राजद के कार्तिक कुमार से भी इस्तीफा लिया गया। इन लोगों पर तो केवल FIR हुई थी, तब भी इस्तीफा ले लिया गया। लेकिन तेजस्वी यादव पर चार्जशीट हुई है तो क्यों अब तक उनका इस्तीफा नहीं लिया गया। नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री कुर्सी के लिए अपने सिद्धांत से समझौता कर लिया है।

बता दें कि ‘लैंड फॉर जॉब’ मामला 2004 से 2009 के बीच का है। इसमें लालू यादव पर आरोप है कि यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने पटना के 12 लोगों को ग्रुप डी में चुपके से नौकरी दी और उनसे अपने परिवार के लोगों के नाम पटना में जमीनें लिखवा लीं। CBI का दावा है कि लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और हेमा यादव के नाम पर कम कीमत में प्लॉट्स की रजिस्ट्री कराई गई। जमीन की मामूली कीमत नकद में चुकाई गई। सीबीआई को जांच में ऐसे सात उदाहरण मिले थे जहां उम्मीदवारों को कथित तौर पर नौकरी दी गई।

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