रिपोर्ट: सत्यम दुबे
लखनऊ: कोरोना के दूसरे लहर के कहर ने कई हंसते खेलते परिवारों के तबाह कर दिया है। ऑक्सीजन और दवाईयों की कमीं से कोरोना से संक्रमित लोग लगातार दम तोड़ रहे हैं। मरनेवालों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई कि लोग शव को जलाने की बजाय गंगा में बहाने लगे हैं। गंगा में शवों को बहाने का मामला सामने आने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को लोगो से अपील की है, कि लोग गंगा नदी में इस तरह शव न बहायें। इसके साथ ही उन्होने अधिकारियों को भी निर्देश दिया कि गंगा में शव बहाने से रोका जाय।
इसके बाद भी गंगा में शवों के बहने का सिलसिला लगातार जारी है। कई जिलों में नदियों में शव बहाए जाने के बाद उन्नाव में गंगा नदी के किनारे रेत में शव दफन किए जा रहे हैं। प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। जिसके चलते अब गंगा में शव प्रवाहित करना दंडनीय अपराध है।
आपको बता दें कि योगी सरकार के संज्ञान लेने के बाद अब कानपुर कमिश्नरेट और कानपुर आउटर पुलिस अपने-अपने क्षेत्रों में गंगा की निगरानी करेगी। इसके लिए SDRF भी किनारे पर तैनात रहेगी। इसके साथ ही भैरव घाट पर पुलिसकर्मी लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। कर्नलगंज ACP ने बताया कि हम सभी घाटों पर अवगत करा रहे हैं कि अगर कोई दाह संस्कार करने में असमर्थ है तो पुलिस टीम अंतिम संस्कार कराएगी।
पुलिस अब लोगो को चेता रही है कोई गंगा में शव प्रवाहित करता हुआ मिला तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। अब गंगा में शव प्रवाहित करना दंडनीय अपराध है। कानपुर, उन्नाव, कन्नौज, गाजीपुर और बलिया की तरह गंगा किनारे सैकड़ों की संख्या में दफन लाशें मिलीं हैं।
इसके साथ ही रायबरेली में गेगासो गंगा घाट पर रेत में करीब 200 से ज्यादा शव मिले थे। वाराणसी, चंदौली बॉर्डर पर स्थित सुजबाद गांव के किनारे भी गंगा नदी में शव मिले हैं। जबकि प्रयागराज के फाफामऊ गंगा घाट के किनारे भी बड़ी संख्या में दफन शव मिले हैं।