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एनडीटीवी की पूर्व एंकर निधि राजदान हुईं साइबर क्राइम का शिकार, अमेरिका की हार्वर्ड में पढ़ाने का ऑफर निकला झूठा

By RNI Hindi Desk 
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एनडीटीवी की पूर्व एंकर और पत्रकार निधि राजदान साइबर क्राइम की शिकार हो चुकी हैं। इसकी जानकारी उन्होंने खुद ट्वीट करके दी है। आप को बता दे कि जून 2020 में एनडीटीवी से रिजाइन कर दिया था। ताकि वे हार्वर्ड में जाकर असोसिएट प्रोफेसर ज्वाइन कर सकें।

निधि राजदान को जनवरी 2021 में अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जर्नलिज्म डिपार्टमेंट में बतौर असोसिएट प्रोफेसर ज्वाइन करने का ऑफर आया था। इसकी जानकारी उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करके दी थी।

लेकिन जब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सीनियर अधिकारियों से बात हुई तब उन्हें साइबर क्राइम का शिकार होने की जानकारी हुई। न्यूज एंकर ने अब इस मामले में अपनी पर्सनल डॉक्युमेंट्स के मिसयूज होने की भी आशंका जताई है। फिलहाल, उन्होंने इस मामले की पुलिस से शिकायत दर्ज कर दी है।

पिछले साल जून 2020 में न्यूज एंकर निधि राजदान ने सोशल मीडिया पर ही बताया था कि उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से असोसिएट प्रोफेसर की जॉब का ऑफर आया है। इसलिए वह एनडीटीवी की नौकरी छोड़कर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जर्नलिज्म डिपार्टमेंट में बतौर असोसिएट प्रोफेसर ज्वाइन करेंगी।

ट्वीट में निधि ने लिखा है कि जनू 2020 में मैंने यह कहते हुए 21 सालों की एनडीटीवी की नौकरी छोड़ रही हु। ताकि मैं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में जॉइन कर सकू।

उन्होंने आगे कहा मुझे बताया गया था कि मैं सितंबर 2020 में यूनिवर्सिटी जॉइन करूंगी। मैं अपने नए असाइनमेंट की तैयारी कर रही थी, इसी दौरान मुझे बताया गया कि महामारी की वजह से मेरी क्लासेस जनवरी 2021 में शुरू होंगी।

निधि राजदान का कहना है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता की पढ़ाई करने के ऑफर में हो रही देरी को लेकर कुछ गड़बड़ी का आभास उन्हें हो गया था, लेकिन उन्हें बताया गया था कि प्रशासनिक विसंगतियों के कारण ऐसी देरी हो रही है।

पहले मैंने इन विसंगतियों को यह कहकर टाल दिया कि महामारी के असर के कारण ऐसा हो रहा है। लेकिन हाल ही में उनके समक्ष जो रिप्रंजेंटेशन दिया गया था, वह और भी बेचैन करने वाला था।

उन्होंने आगे कहा कि नतीजा यह हुआ कि उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया। उनके अनुरोध पर उन्होंने जॉब को लेकर पहले हुए संवाद का ब्योरा उन्हें दिया, जिसे उन्हें यही समझा था कि वे आधिकारिक तौर पर यूनिवर्सिटी के द्वारा भेजे गए हैं।

यह जानकारी साझा करने के बाद उन्हें फोन और संदेश के जरिये जो समर्थन मिला है, उसको लेकर वह बेहद अच्छा महसूस कर रही हैं। उन्होंने इस बात की जानकारी देरी से साझा करने को लेकर क्षमायाचना भी की है।

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