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NMP issue: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों पर वित्त मंत्री सीतारमण का तीखा हमला, पूछा- क्या मोनेटाइजेशन को समझते हैं?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा नेशनल मोनेटाइजेशन प्रोग्राम पर हमलावर रूख अख्तियार करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीखा हमला किया है और उनसे मोनेटाइजेशन के बारे में पूछा है। सीतारमण ने कहा कि क्या मोनेटाइजेशन को समझते हैं?

By Amit ranjan 
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नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा नेशनल मोनेटाइजेशन प्रोग्राम पर हमलावर रूख अख्तियार करने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीखा हमला किया है और उनसे मोनेटाइजेशन के बारे में पूछा है। सीतारमण ने कहा कि क्या मोनेटाइजेशन को समझते हैं?

उन्होंने आगे कहा कि क्या कांग्रेस सरकार 2008 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए RFP (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) नहीं लाई थी? मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि अब रेलवे स्टेशन का मालिक कौन है? जीजा जी?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राहुल गांधी ने 2013 में मीडिया के सामने एक अध्यादेश फाड़ दिया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री देश से बाहर थे। अगर वे मोनेटाइजेशन के खिलाफ थे तो उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए RFP क्यों नहीं फाड़ा? सीतारमण ने कहा, “वह कांग्रेस थी जिसने देश के संसाधनों को बेचा और उसमें रिश्वत प्राप्त की।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 8,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे का मौद्रिकरण किया, 2008 में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित किया गया था।

आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को छह लाख करोड़ रुपये की एनएमपी की घोषणा की थी। इसके तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियम का मौद्रिकरण शामिल हैं। सरकार का कहना है कि इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल करते हुए संसाधन जुटाये जायेंगे और संपत्तियों का विकास किया जायेगा।

वहीं इसे लेकर राहुल गांधी ने कहा कि इन संपत्तियों को बनाने में 70 साल लगे हैं और इनमें देश की जनता का लाखों करोड़ों रुपये लगे हैं। अब इन्हें तीन-चार उद्योगपतियों को उपहार में दिया जा रहा है।

राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ हम निजीकरण के खिलाफ नहीं है। हमारे समय निजीकरण विवेकपूर्ण था। उस समय रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्तियों का निजीकरण नहीं किया जाता था। जिन उद्योगों में बहुत नुकसान होता था, उसका हम निजीकरण करते थे।’’

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