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सालों से चल रहा था डोपिंग का रैकेट, डॉक्टर को दी गई अबतक की सबसे महंगी सजा

By RNI Hindi Desk 
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रिपोर्ट: सत्यम दुबे

नई दिल्ली: एक अंतर्राष्ट्रीय ब्लड डोपिंग स्कैंडल के मामले में जर्मनी के डॉक्टर मार्क श्मिट  को म्यूनिख  की एक अदालत ने 4 साल और 8 महीने की जेल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही डॉक्टर मार्क श्मिट पर 3 साल तक रोगियों का इलाज करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। अदालत ने डॉक्टर पर एक लाख इक्यानबे हजार डॉलर का भी जुर्माना ठोंका है। इन पैसों को भारतीय रुपयें में बदला जाय तो यह करीब (1,39,73,846)  एक करोड़, उन्नतालिस लाख, तिहत्तर हजार आठ सौ छियालिस रुपये होगा।

इसकी जॉच की गई तो पता चला कि डॉक्टर मार्क श्मिट द्वारा अपने कुछ सहयोगी डॉक्टरों के साथ पिछले कई सालों से दुनिया की कई बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले एथलीट्स के लिए ब्लड डोपिंग का रैकेट चलाया जा रहा था। जिससे डॉक्टरों की भारी कमाई भी हो रही थी।

अंतर्राष्ट्रीय ब्लड डोपिंग स्कैंडल के इस मामले में डॉक्टर श्मिट के अलावा दूसरे डॉक्टरों पर भी मामला चला और उन्हें सजा दी गई। आपको बता दें यूरोप में इसे बहुत बड़ा डोपिंग स्कैंडल माना जा रहा है। इसका कारण यूरोप के देशों में डोपिंग के नियम बेहद सख्त बनाये गये हैं।

डॉक्टर श्मिट और सहयोगी डॉक्टरों को डोपिंग के गलत तरीकों का इस्तेमाल करने के 24 मामलों में दोषी पाया गया।  ये डॉक्टर्स एथलीट्स को प्रतिबंधित दवाइयां देते थे और इस मामले में उन्हें पाक-साफ होने का सर्टिफिकेट जारी कर देते थे।

डॉक्टर श्मिट के दो सहयोगी डॉक्टरों को 2 साल, 4 महीने और एक डॉक्टर को 1 साल 4 महीने की सजा सुनाई गई। दूसरे डॉक्टरों और सहयोगियों को भी अलग-अलग सजा दी गई है। डॉक्टर श्मिट के गिरोह में शामिल दो डॉक्टरों पर सिर्फ जुर्माना लगाया गया। खास बात यह है कि इममें डॉक्टर श्मिट के पिता भी शामिल पाये गये।

इन डॉक्टरों ने अदालत के सामने यह स्वीकार किया कि वे साल 2012 से डोपिंग के इन तरीकों का इस्तेमाल कर रहे थे। डॉक्टरों ने इस बात को माना कि उन्होंने एथलीट्स को प्रतिबंधित दवाइयां दी हैं। डॉक्टर श्मिट और उसके सहयोगी डॉक्टरों ने अदालत में कहा कि उन्होंने डोपिंग नेटवर्क शुरू नहीं किया था। वे एथलीट्स के कहने पर उनके लिए काम करते थे और उनकी दवाइयों की मांग को पूरा करते थे।

जर्मनी ने साल 2015 में डोपिंग विरोधी कानून लागू किया था, जिसके बाद यह पहला बड़ा मामला सामने आया है। डॉक्टर श्मिट का नेटवर्क अंतराष्ट्रीय स्तर पर चल रहा था। इतना ही नहीं बड़े पैमाने पर एथलीट्स इससे जुड़े हुए थे। डॉक्टर श्मिट का यह डोपिंग स्कैंडल सामने आने के बाद खेल जगत से जुड़े लोग सख्ते में आ गये हैं।

मामला सामने आने के बाद कई एथलीट्स पर प्रतिबंध भी लगा है। ऑस्ट्रियाई साइकिल चालक स्टीफन डेनिफ्ल को इस सप्ताह की शुरुआत में अदालत ने 2 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा खेल से 16 महीने का निलंबन भी शामिल था।

अब हम आपको बताते हैं कि डोपिंग टेस्ट होता क्या है?

वह पदार्थ जिसके सेवन करने से किसी भी खिलाड़ी का स्टैमिना एकदम से बढ़ जाता इसको ही सामान्य भाषा में डोपिंग कहतें हैं। अब हम आपको बताते हैं कि डोपिंप कैसे की जाती है। कोई भी खिलाड़ी लिक्विड फॉर्म में इंजेक्शन के जरिए या प्रतिबंधित पाउडर खाकर या उसे पानी में घोलकर ले सकता है। इतना ही नहीं इसे खाने-पीने की चीज में मिला कर भी लिया जा सकता है।

अब बात करते हैं इसके टेस्ट की

डोप टेस्ट करने के लिए खिलाड़ियों का यूरीन सैंपल लिया जाता है। इस टेस्ट को किसी भी समय किया जा सकता है। इसको आसान भाषा में समझें तो जिस किसी भी खिलाड़ी पर डोपिंग करने का शक होता है, तो किसी इवेंट से पहले या ट्रेनिंग कैंप के दौरान डोप टेस्ट में खिलाड़ियों का यूरिन मतलब पेशाब का सैंपल लेकर डोप टेस्ट किया जा सकता है।

डोप टेस्ट को आप इससे भी आसान भाषा में समझें तो, बात है साल 1968 की, जब मैक्सिको ओलंपिक ट्रॉयल चल रहा था। तब दिल्ली के रेलवे स्टेडियम में कृपाल सिंह 10 हजार मीटर दौड़ में भागते समय ट्रैक छोड़कर सीढ़ियों पर चढ़ गए थे। उस दौरान कृपाल सिंह के मुंह से झाग निकलने लगा था और वह बेहोश हो गए। इसके बाद जांच की गई तो पता चला कि कृपाल ने ताकत बढ़ाने वाला पदार्थ ले रखा था ताकि वह मेक्सिको ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर सकें। इसे ही डोपिंग कहते हैं।

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