1. हिन्दी समाचार
  2. देश
  3. ‘घरेलू जिम्मेदारी, बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर महिला वकीलों ने न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी से किया इनकार’: CJI एसए बोबडे

‘घरेलू जिम्मेदारी, बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर महिला वकीलों ने न्यायाधीश पद की जिम्मेदारी से किया इनकार’: CJI एसए बोबडे

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में लगातार महिला चीफ जज होने की बात कहीसजा रहीं थी, क्योंकि अभी तक कोई भी महिला शीर्ष अदालत में मुख्य न्यायाधीश के पदों पर आसीन नहीं हउ है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि अब समय आ गया है जब भारत की मुख्य न्यायाधीश महिला होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1950 को मौजूदा न्यायिक व्यवस्था अस्तित्व में आई और अगले नामित प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण सहित 48 न्यायमूर्ति देश के शीर्ष न्यायिक पद पर आसीन हो चुके हैं लेकिन इनमें से कोई भी महिला नहीं है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों ने हमें बताया कि समस्या यह भी है कि जब महिला वकीलों को न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के लिए कहा जाता है तो वे अकसर घरेलू जिम्मेदारी या बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर इससे इनकार कर देती हैं।

पीठ ने कहा कि महिला हित हमारे दिमाग में रहता है। इस सोच में बदलाव नहीं आया है। उम्मीद है वे (महिला) नियुक्त होंगी। वकीलों के निकाय की ओर से पेश अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने कहा कि हस्तक्षेप आवेदन पर नोटिस जारी होनी चाहिए। हालांकि, पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर नोटिस जारी नहीं करेगी।

गौरतलब है कि न्यायालय महिला वकीलों के निकाय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के तौर पर नियुक्ति में उनमें मौजूद सराहनीय पर विचार करने का अनुरोध किया गया था। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की विशेष अवकाश पीठ ने कहा कि, क्यों उच्च न्यायपालिका ही। हमारा मानना है कि समय आ गया है जब भारत की प्रधान न्यायाधीश महिला होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट वुमेंस लॉयर्स एसोसिएशन (एससीडब्ल्यूएलए) की ओर से पेश अधिवक्ता स्नेहा कलिता ने पीठ से कहा कि उच्च न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद ही कम 11.04 प्रतिशत है। इस पर पीठ ने कलिता से कहा कि, ‘हम उच्च न्यायपालिका की नियुक्त में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।

वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से पेश हुए अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि, मैं यह नहीं कह रहा है कि वकीलों की न्यायमूर्ति पद पर नियुक्ति को लेकर विचार नहीं होता। उनपर विचार होता है लेकिन समस्या यह है कि उसकी कोई व्यवस्था नहीं है।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...