1. हिन्दी समाचार
  2. भाग्यफल
  3. लोहड़ी के त्योहार पर जानें इसका महत्व और पौराणिक कथा, पढ़ें

लोहड़ी के त्योहार पर जानें इसका महत्व और पौराणिक कथा, पढ़ें

हड़ी  का त्योहार नाच गाने से सजा ये त्योहार खुशियों से भरा होता है। यह त्योहार किसी उत्सव की तरह से मनाया जाता है। लोहड़ी के त्योहार में आग का अलाव जलाने का खास महत्व होता है इसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी, मूंगफली को हर कोई चढ़ाता है।

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

नोएडड:  लोहड़ी  का त्योहार नाच गाने से सजा ये त्योहार खुशियों से भरा होता है। यह त्योहार किसी उत्सव की तरह से मनाया जाता है। लोहड़ी के त्योहार में आग का अलाव जलाने का खास महत्व होता है इसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी, मूंगफली को हर कोई चढ़ाता है। लोहड़ी त्योहार के महत्व और किंवदंतियां कई हैं और ये त्योहार को पंजाब क्षेत्र  खास रूप से मनाया जाता है। साल 2022 में लोहड़ी पर्व 13 जनवरी को मनाया जाएगा।

मान्यता के अनुसार लोहड़ी का त्योहार शीतकालीन संक्रांति के गुजरने का प्रतीक है। यही कारण है इस खास पर्व को सर्दियों के अंत का प्रतीक भी माना जाता है। लोहड़ी का ये पर्व मकर संक्रांति से ठीक एक रात पहले धूमधाम से मनाया जाता है, जिसे माघी के नाम से भी जानते हैं।

आपको बता दें कि लोहड़ी के त्योहार पर दुल्ला भट्टी की कहानी को खास रूप से सुना जाता है। दुल्ला भट्टी मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के वक्त पर पंजाब में रहता थाय़ मध्य पूर्व के गुलाम बाजार में हिंदू लड़कियों को जबरन बेचने के लिए ले जाने से बचाने के लिए उन्हें आज भी पंजाब में एक नायक के रूप में माना और याद किया जाता है। कहानी में बताया गया है कि उन्होंने जिनको बचाया था उनमें दो लड़कियां सुंदरी और मुंदरी थीं, जो बाद में धीरे-धीरे पंजाब की लोककथाओं का विषय बन गईं थीं।

लोहड़ी का त्योहार बिना गीत के अधूरा माना जाता है। बच्चे हों या फिर बड़े सभी लोहड़ी त्योहार पर पारंपरिक लोक गीतों को आग के आस पास घूम-घूम कर और घर-घर घूमकर गाते हैं, इन गीतों में “दुल्ला भट्टी” का नाम भी शामिल होता है। घरों में लोहड़ी को मांगने की रिवाज होती है। कहा जाता है कि बिना लोहड़ी के पारंपरिक गीतों के त्योहार अधूरा रहता है।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...