भगवद गीता एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें जीवन से जुड़े सभी प्रश्न के उत्तर है। महाभारत जिसे की पंचम वेद भी कहा जाता है उसी के अंदर गीता है जिसे श्री कृष्ण अर्जुन को सुनाते है। दरअसल युद्ध की शुरुआत में अर्जुन ने कौरव पक्ष में अपने कुटुंब के लोग देखे तो उसने युद्ध करने से मना कर दिया।
शुरू में अर्जुन श्री कृष्ण के सामने कुछ तर्क रखता है ताकि उसे युद्ध नहीं लड़ना पड़े लेकिन श्री कृष्ण उसे समझाते है की हे पार्थ युद्ध किये बिना तुम धर्म की स्थापना नहीं कर सकते। अर्जुन से श्री कृष्ण यह भी कहते है की जीवन में कर्म से बड़ा कुछ भी नहीं है।
भगवान ने उससे कहा की हर मनुष्य को बिना फल की चिंता किए बिना कर्म करना चाहिए ताकि वो ईश्वर को प्राप्त कर सके। इसके बाद अर्जुन कृष्ण से पूछते है की हे केशव अगर आप ज्ञान को बड़ा बता रहे है तो फिर कर्म करने की जरुरत क्या है ?
इसके बाद भगवान कृष्ण अर्जुन को समझाते है की अगर आपको किसी लक्ष्य को प्राप्त करना है तो कर्म तो करना ही होता है। कोई भी इंसान बिना कर्म किए कर्म सिद्धि को प्राप्त नहीं कर सकता है।
इस संसार में ऐसा कौन है जो बिना कर्म के बिना जीवित रह सकता है ? हर व्यक्ति को देखो वो कर्म करते हुए ही दिखाई देगा। जो कर्म नहीं करता उसे कभी सिद्धि नहीं मिलती है। इसके आबाद अर्जुन कृष्ण से पूछते है की उत्तम कर्म कौनसा है ?
इसके जवाब में कृष्ण कहते है की जो मनुष्य निष्काम भाव से मुझे भजते हुए अपने समस्त कर्मों को मुझे सौंप देता है वहीं उत्तम व्यक्ति है और उसी का कर्म उत्तम है। आगे वो कहते है की हे अर्जुन तुम चिंता मत करो और अपना कर्म करो और तभी तुम प्रजा को सुख दे सकते हो।