दिवाली कल बड़े धूमधाम से मनाई जाएगी और इस दिन पुरे देश में दीपोत्सव मनाया जाएगा। आपको बता दे की प्रभु श्री राम असुर रावण का संहार करके इसी दिन अयोध्या आये थे। उस समय अमावस्या की रात्रि थी तो घोर अँधेरा था इसलिए अयोध्या के लोगों ने घी के दीपक जलाकर पूरी नगरी को जगमग कर दिया था।
दूसरी मान्यता के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन से लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था जिसे श्री विष्णु ने वरण किया था। इसलिए इस दिन को श्री राम जी के साथ साथ लक्ष्मी और कुबेर की पूजा करने का विधान भी है। माना जाता है की इस रात्रि लक्ष्मी संसार लोक में भ्रमण करती है।
वेद पुराणों की माने तो लक्ष्मी धन की देवी है। जिन पर इनकी कृपा हो जाए तो कभी भी वो गरीब नहीं हो सकता है ,पुराणों में इंद्र और लक्ष्मी के एक संवाद से ये समझाया गया है कि लक्ष्मी का निवास किस स्थान पर होता है।
इस कथा के अनुसार लक्ष्मी पहले असुरों के साथ थी लेकिन एक दिन उन्हें छोड़कर वो देवलोक में रहने आ गई। इंद्र ने इसी संदर्भ में उनसे प्रश्न पूछा जिसके जबाब में माता लक्ष्मी ने उन्हें नीति का ज्ञान दिया था।
उन्होंने कहा, हे इंद्र, असुर बड़े दुराचारी हैं, जब कोई वृद्ध सत्पुरुष ज्ञान, विवेक और धर्म की बात करते हैं तो वे उनका उपहास करते हैं, उनकी निंदा करते हैं। ये काम अधार्मिक है। महालक्ष्मी ने कहा कि जो व्यक्ति दूसरों की मदद करते हैं, गरीबों को दान देते हैं, अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करते हैं देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करते हैं।
पुराणों के अनुसार जिस घर में मूर्खों की पूजा नहीं होती है, जहां विद्वान लोगों का अपमान नहीं होता है बल्कि विद्वान और संत लोगों का उचित मान-सम्मान किया जाता है, वहां लक्ष्मीजी निवास करती हैं।
अगर हम सब भी उन बातों का पालन करें तो जरुर हमारे जीवन में भी लक्ष्मी का निवास अवश्य होगा।