इस दुनिया में अगर सबसे बड़ा कोई ग्रन्थ है तो वो महाभारत है। इस ग्रंथ में जो कथाएं है उनसे हम बहुत कुछ सीख सकते है। जीवन में ऐसा कोई भी प्रश्न नहीं है जिसका उत्तर इस ग्रंथ में नहीं है।
इस पंचम वेद में इतनी नीतियां है जिनका पालन किया जाए तो मनुष्य पूर्णइस दुनिया में अगर सबसे बड़ा कोई ग्रन्थ है तो वो महाभारत है। इस ग्रंथ में जो कथाएं है उनसे हम बहुत कुछ सीख सकते है। जीवन में ऐसा कोई भी प्रश्न नहीं है जिसका उत्तर इस ग्रंथ में नहीं है।
इस पंचम वेद में इतनी नीतियां है जिनका पालन किया जाए तो मनुष्य पूर्ण रूप से सुखी हो सकता है। जब कौरव और पांडवों का युद्ध हो रहा था तो द्रोणाचार्य को झूठ बोलकर मारा गया।
इसके बाद उनके पुत्र अश्वत्थामा को सेनापति बना दिया गया ,वो पांडवों पर क्रुद्ध था इसलिए उसने अर्जुन के ऊपर ब्रह्मास्त्र चला दिया। इसके बाद अर्जुन ने भी उसी शस्त्र का प्रयोग किया ताकि उससे बचा जा सके।
अगर दोनों शस्त्र आपस में टकरा जाते तो प्रलय और विनाश की स्थिति हो जाती इसलिए वेदव्यास जी ने दोनों से ब्रह्मास्त्र रोक देने का आह्वान किया।
उनकी बात मानकर अर्जुन ने तो अपना ब्रह्मास्त्र वापिस ले लिया लेकिन अश्वथामा ने कहा की उसे शस्त्र चलाना तो आता है लेकिन वापिस करना नहीं आता। ये सुनकर वेदव्यास गुस्सा हो गए और बोले कि जब तुम्हें पूरी विधि मालूम ही नहीं थी, तो ब्रह्मास्त्र चलाया ही क्यों?
इसके बाद उसने उस ब्रह्मास्त्र की दिशा बदल दी और अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र को अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर मोड़ दिया। उस समय उत्तरा गर्भवती थी और पांडवों के वंश की आखिरी संतान परीक्षित उसके गर्भ में थे।
इसके बाद खुद भगवान श्री कृष्ण को परीक्षित की रक्षा करनी पड़ी। अश्वत्थामा के माथे पर जन्म के समय से ही एक मणि थी, जिसके कारण वो अमर था। भगवान कृष्ण ने वो मणि निकालकर उसे कलियुग के अंत तक भटकते रहने का श्राप दिया।
इस प्रसंग से हम ये सीख सकते है की अधूरा ज्ञान कितना खतरनाक हो सकता है। जब तक किसी चीज के बारे में पूरी जानकारी नहीं हो तब तक वो काम नहीं करना चाहिए।