मनुष्य जीवन में धन का बड़ा महत्व है। अगर जीवन में धन नहीं हो तो जीवन की सभी जरूरत पूरी नहीं की जा सकती है। आचार्य चाणक्य में भी कहा है की दरिद्र से बड़ा कोई दुःखी नहीं है। इसलिए जीवन में धन का होना जरुरी है। बिना धन के ना तो कर्म हो सकता है और ना ही धर्म हो सकता है ,संसार में ऐसा कोई कार्य नहीं जो बिना धन के सम्पूर्ण हो जाए।
जीवन में धन जितना जरुरी है उतना ही जरुरी है उसका सदुपयोग, कई बार जिनके पास धन होता है वो उसका उपयोग नहीं कर पाते और जिनके पास उपयोग करने की बुद्धि होती है उनके पास धन नहीं होता।
जीवन में बहुत कम लोग ऐसे होते है जो धन का सदुपयोग कर पाते है और उसे समाज की भलाई में लगा देते है , लेकिन कई बार जीवन में ऐसा भी होता है की धन के होने के बाद भी व्यक्ति उसका उपयोग नहीं कर पाता है।
इसी से जुड़ी एक कथा है, एक व्यक्ति के पास कुछ धन था। वो कंजूस था तो उसने वो धन छिपा दिया। वो रोज उस धन को देखता और खुश हो जाता। उसके परिवार को पैसों की जरूरत थी तो उसकी पत्नी रोज उससे कहती की इस धन को खर्च करिये ताकि हम और धन बना सके।
लेकिन वो कंजूस उनकी एक बात नहीं सुनता, एक दिन एक चोर ने उस आदमी का पीछा किया और उसके पीछे से उसका धन चुरा लिया। जब बाद में उसे पता चला तो उसके पास रोने धोने के सिवाय कुछ भी नहीं बचा था।
इस पुरे वाकये से हमे एक सीख मिलती है की कभी भी धन को जबरदस्ती संग्रह करके नहीं रखना चाहिए। जितनी जरूरत है उतना रखे और बाकी धन का उपयोग करे ताकि वो बुरे समय में काम आ सके।