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क्रोध मनुष्य के विवेक का नाश करता है : इस प्रसंग से सीखे क्रोध के नुकसान

By RNI Hindi Desk 
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वैसे तो हमारे ऋषि मुनियों ने मनुष्य के लिए कई ऐसी बुराई कही है जिनसे इंसान को बचकर रहना चाहिए लेकिन क्रोध एक ऐसी बुराई है जो सभी पर भारी पड़ती है।

किसी और बुराई से तो आदमी बच सकता है लेकिन क्रोध उसे नहीं छोड़ता है। अगर क्रोध को काबू न किया जाए तो सब कुछ बर्बाद हो सकता है। गुस्सा काबू करने के लिए मौन धारण करना चाहिए ऐसा साधु संतों ने कहा है। 

रामायण के एक प्रसंग से हम इसे अच्छे से सीख सकते है। जब हनुमान जी लंका में आये और उनकी पूंछ में आग लगा दी गई, उसके बाद उन्होंने पूरी लंका जला दी। इसके बाद भी रावण को यह समझ नहीं आया की जब राम का सेवक इतना बलवान है तो राम कितना बलवान होगा। 

इसके बाद भी जब रावण नहीं समझा तो छोटे भाई विभीषण ने उन्हें समझाने की कोशिश की। उन्होंने रावण को समझाया की किसी परायी स्त्री को इस प्रकार बलपूर्वक रखना नीति नहीं है। आपकी तीनों लोकों में ख्याति है और इस प्रकार एक स्त्री के कारण उसे मत बर्बाद कीजिए। 

विभीषण के इतना समझाने के बाद भी रावण बस अपनी शक्ति का ही बखान करता रहा और उसकी एक बात नहीं सुनी। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने राम को अपशब्द भी कहे। उसके बाद भी विभीषण समझाता रहा और नीति का ज्ञान अपने बड़े भाई को देता रहा। 

रावण असुर था और उसने अपनी शक्ति पर घमंड था। उसे इतना क्रोध आया की उसने अपने ही भाई को लात मार दी। इसके बाद विभीषण अपने सेवकों के साथ लंका छोड़कर चले गए और उसके बाद रावण का क्या हाल हुआ दुनिया जानती है। 

इस छोटे से प्रसंग से हम ये सीख सकते है की कैसे क्रोध मनुष्य का नाश कर सकता है ,इसलिए जीवन में क्रोध को कभी भी जगह नहीं देनी चाहिए और अपनी शक्ति पर घमंड नहीं करना चाहिए। 

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