मंत्रियों को दी गई परचम लहराने की जिम्मेदारी। सांसद या विधायक के परिजन नहीं बन पाएंगे प्रत्याशी। 14-15 अप्रैल तक पहले चरण के प्रत्याशियों की घोषणा संभव
उत्तर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं। वहीं बीजेपी सैद्धांतिक रूप से किसी भी मंत्री, सांसद या विधायक के परिजन को प्रत्याशी नहीं बनाएगी। विशेष परिस्थिति में अगर ऐसा करना पड़े तो उसके बारे में प्रदेश कोर कमेटी निर्णय करेगी। बीजेपी संगठन का स्पष्ट संदेश दिया है कि नगरीय निकाय चुनाव में सरकार के मंत्री, सांसद और विधायक अपने परिजनों के टिकट के लिए दबाव न बनाएं। बता दें कि चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सरकार के मंत्रियों को चुनाव का रोडमैप सौंपा गया साथ ही मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने मंत्रियों को प्रदेश के सभी 17 नगर निगम और जिला मुख्यालयों सहित बड़ी नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों में कमल खिलाने की जिम्मेदारियां सौंपी। इस मौके पर राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे निकाय चुनाव में नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में पार्टी की जीत काफी महत्वपूर्ण है। ये चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि जिन नेताओं को सरकार या संगठन में समायोजन का मौका नहीं मिला, उन्हें प्रत्याशी चयन में प्राथमिकता दी जाएगी, बशर्ते वो जीतने की स्थिति में हों। उन्होने कहा कि नगर निगमों व बड़ी नगर पालिका परिषदों में मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सभा, रोड शो किए जाएंगे, इसके साथ ही कहीं सामाजिक समीकरण के लिहाज से किसी विशेष नेता के कार्यक्रम की आवश्यकता हो, उसकी सूचना प्रदेश मुख्यालय को दें।
महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह ने कहा कि नगरीय निकाय चुनाव के सभी प्रत्याशियों के चयन के लिए 12 अप्रैल तक पैनल तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। नगर पालिका के अध्यक्ष, नगर निगम के पार्षद और महापौर प्रत्याशी का चयन क्षेत्र की कोर कमेटी की संस्तुति पर प्रदेश मुख्यालय से होगा। उन्होने कहा कि 14-15 अप्रैल तक पहले चरण के प्रत्याशियों की घोषणा की जा सकती है।