कानपुर में आयोजित आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की 27वीं बैठक में बोर्ड का उपाध्यक्ष चुने जाने के बाद जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने अपने भाषण में सबसे पहले बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं विभिन्न बीमारियों और आयु की आवश्यकताओं के कारण अब अधिक भाग दौड़ नहीं कर पाता लेकिन आपके आदेश के पालन में मुझे जो ज़िम्मेदारी दी गई है उसे पूरी करने के लिये हर संभव प्रयास करूंगा।
Delhi: 24 November. कानपुर में आयोजित आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की 27वीं बैठक में बोर्ड का उपाध्यक्ष चुने जाने के बाद जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने अपने भाषण में सबसे पहले बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं विभिन्न बीमारियों और आयु की आवश्यकताओं के कारण अब अधिक भाग दौड़ नहीं कर पाता लेकिन आपके आदेश के पालन में मुझे जो ज़िम्मेदारी दी गई है उसे पूरी करने के लिये हर संभव प्रयास करूंगा। इसके बाद मौलाना मदनी ने कहा कि वर्तमान बोर्ड की बैठक में देश में बढ़ती हुई ख़तरनाक सांप्रदायिकता के सम्बंध में जो बातें सामने आई हैं और जिस पर बातचीत हो रही है इन बातों को लेकर सरकार की जो सोच और व्यवहार है और जिस तरह उन चीज़ों को पूरे देश में प्रस्तुत किया जा रहा है वो नफ़रत और पक्षपात पर आधारित है। शरीअत के आदेशों में हस्तक्षेप वास्तव में उसी नफ़रत और पक्षपात की राजनीति पर आधारित है, इन चीज़ों को रोकने के लिए हमारे पास कोई ताक़त नहीं है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं उनके पास सत्ता की ताक़त है जिसे आज की दुनिया में सबसे बड़ी ताक़त समझा जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसी निराशजनक स्थिति में भी आशा और विश्वास के चराग रौशन हैं। देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो देश की वर्तमान स्थिति को ग़लत समझता है।
एक विशेष वर्ग के खि़लाफ़ पिछले कुछ वर्षों से जो कुछ हो रहा है उसे वो अच्छी नज़र से नहीं देखता, वो यह भी समझता है कि इस प्रकार की चीज़ें देश के लिए बहुत घातक हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि सांप्रदायिकता के खि़लाफ़ जंग में हम अकेले सफलता प्राप्त नहीं कर सकते, हमें न केवल उस वर्ग को बल्कि समाज के सभी समान विचारधारा के लोगों को अपने साथ लाना होगा। नफरत और सांप्रदायिकता की इस आग को बुझाने के लिए हमें मिलजुल कर आगे आना होगा, अगर हम ऐसा करेंगे तो कोई कारण नहीं कि सांप्रदायिक ताकतों को पराजित न कर सकें। उन्होंने स्पष्ट किया कि सांप्रदायिता और नफरत का यह खेल दक्षिण की तुलना में उत्तरी भारत में अपने चरम पर है, इसका मूल कारण राजनीतिक हित है, भड़काऊ भाषण और ऊटपटांग बयानों से समाजी स्तर पर सांप्रदायिक गोलबंदी की साज़िश हो रही है ताकि बहुसंख्यक को अलसंख्यक से बिलकुल अलग कर के अपनी नापाक योजनाओं में सफलता प्राप्त करली जाए इसलिये इस साज़िश का मुक़ाबला करने के लिए हमें बहुसंख्यक के उन सभी लोगों को अपने साथ लाना होगा जो इन बातों को ग़लत समझते हैं और जिनका मानना है कि इस प्रकार की राजनीति देश की एकता, अखण्डता और विकास के लिए बहुत घातक है। उन्होंने आगे कहा कि नफरत और सांप्रदायिकता की आग भड़काने वाले मुट्ठी भर लोग ही हैं लेकिन वह शाक्तिशाली इसलिये हैं कि उन्हें सत्ता में उपस्थित लोगों का संरक्षण प्राप्त है, इसलिये क़ानून के हाथ भी उनकी गर्दन तक नहीं पहुंच पाते। मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि नफ़रत का मुक़ाबला नफ़रत से नहीं किया जा सकता है, आग से आग को बुझाने का प्रयास मूर्ख लोग ही कर सकते हैं, इसके मुक़ाबले में हमें भाईचारा, सहानुभूति और एकता को बढ़ावा देना होगा जो हमारी और इस देश का पुराना इतिहास ़भी रहा है।
इस इतिहास को पुनः जीवित किया जाना चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बेशक देश की स्थिति बहुत दयनीय है लेकिन हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है, देश के अंदर एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस नफ़रत का मुक़ाबला करना चाहता है, ऐसे लोगों की एक बड़ी संख्या मौजूद है जो डर और भय के इस माहौल में भी सांप्रदायिकता और नफरत के खि़लाफ़ मज़बूती से लड़ रहे हैं। याद रखें जिस दिन हम सांप्रदायिक शक्तियों के खि़लाफ़ सभी वर्गों को एकजुट करने और अपने साथ लाने में सफल हो गए, यह ताक़तें उसी दिन दम तोड़ देंगी। मौलाना मदनी ने कहा कि इसके लिए हमें एक मज़बूत रणनीति तैयार करके सामने आना होगा, नहीं तो कल तक बहुत देर हो सकती है। इसलिये देशवासी भाईयों को विशेष रूप से पढ़े लिखे वर्ग को, चाहे वो किसी भी धर्म से हों, अगर वह इस नफ़रत के खि़लाफ़ हों तो उन्हें साथ लेकर इस नफ़रत के खि़लाफ़ अभियान चलाना चाहिये तब जाकर इन समस्याओं का समाधान होगा, नहीं तो सभी वर्गों को एकजुट किए बिना सांप्रदायति को समाप्त नहीं किया जा सकता है।
अंत में मौलाना मदनी ने कहा कि इस समय भारत की स्थिति जितनी गंभीर है इसका अतीत में उदाहरण नहीं मिलता। केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद लगातार जो घटनाएं हो रही हैं उसके कारण अब इसमें कोई शंका नहीं रह गई है कि भारत सांप्रदायिता की चपेट में चला गया है। सांप्रदायिक और अराजक तत्वों का बोलबाला हो गया है, जिसने हर एक देश प्रेमी को चिंतित कर दिया है.