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पीएम मोदी के कृषि कानून वापसी के ऐलान पर क्या बोले टिकैत, क्या अभी खत्म नहीं होगा किसानों का आंदोलन!

What did Tikait say on PM Modi's announcement of withdrawal of agricultural laws?; गुरु पर्व के मौके पर पीएम मोदी ने किया तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का मांग। सामने आया भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का बयान। क्या वापस होगा किसानों का आंदोलन?

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : तकरीबन पिछले एक साल से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वापस लिए जाने का ऐलान कर दिया है। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है। उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी सरकार की तरफ से उठाए कदमों पर भी चर्चा की।

राकेश टिकैत का बयान

वहीं पीएम मोदी के ऐलान के बाद भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) का भी बड़ा बयान सामने आया है। राकेश टिकैत ने कहा कि, ”आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।”

 

पीएम मोदी ने क्या कहा?

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का निर्णय गुरु पर्व के मौके पर लिया है। इस दौरान उन्होंने राष्ट्र को भी संबोधन किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानून को निरस्त करने का फ़ैसला किया है। मकसद ये था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले आज मैं सभी को बताना चाहता हूं कि हमने तीनों कृषि कानून को निरस्त करने का फ़ैसला किया है। बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे। पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था।

उन्होंने कहा कि, ”इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए. देश के कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया। मैं आज उन सभी का बहुत आभारी हूं। हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी, लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।”

पिछले साल संसद से पास हुए थे तीनों कृषि कानून

गौरतलब है कि तीनों नए कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद से पास कराया गया था। इसके बाद से लगातार किसान संगठनों की तरफ से इन कानूनों का विरोध किया जा रहा था। साथ ही इसे वापस लेने की मांग की जा रही थी। किसान संगठनों का तर्क था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी। जबकि, सरकार का तर्क था कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश का अवसर पैदा होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी। आपको बता दें कि इन कृषि कानून को लेकर सरकार के साथ किसान संगठनों द्वारा कई दौर की वार्ता के बाद भी इस पर सहमति नहीं बन पाई। किसान दिल्ली की सीमाओं के आसपास आंदोलन पर बैठकर इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है।

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