The leaders of the United Samaj Morcha were upset for not getting the election symbol!... read and know the full news......Punjab के विधानसभा चुनाव में Samyukta Samaj Morcha भी आज नामांकन दाखिल करने पहुंचा। चुनाव चिन्ह न मिलने पर पार्टी के नेताओं ने भरा निर्दलीय नामांकन।
रिपोर्ट:खुशी पाल
जहां सभी पार्टियां पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भर रहें है वहीं, पंजाब विधानसभा से एक और पार्टी अपना नामाकंन भरना चाहती है लेकिन उन्हें अभी तक चुनाव चिन्ह नहीं मिला है। दरअसल, ये पार्टी संयुक्त समाज मार्चा है।
आपको बता दें कि पंजाब से दिल्ली पहुंचकर संघर्ष करने वाले किसानों ने अपनी पार्टी का गठन कर चुनाव में खड़े होने का फैसला लिया है। लेकिन जानकारी के मुताबिक उन्हें अभी तक चुनाव चिन्ह नहीं मिला है। ऐसे में संयुक्त समाज मोर्चा पार्टी के पास एक ही विकल्प बचता है और वो ये है कि वह अपना निर्दलीय नामाकंन भरे।
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आपको बता दें कि आज नामांकन का आखिरी दिन है इसलिए संयुक्त समाज मोर्चा के सभी उम्मीदवार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करेंगे। मोर्चा के मुख्यमंत्री फेस बलबीर सिंह राजेवाल आज एसडीएम कार्यालय में 12 बजे नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। इनके अलावा अब तक 100 से भी ज्यादा उम्मीदवारों को टिकटें दी जा चुकी हैं और यह सभी आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में होंगे।
जानकारी के मुताबिक संयुक्त समाज मोर्चा ने अपनी पार्टी के नेताओं से विचार विर्मश कर पार्टी के चुनाव चिन्ह के रूप में कप प्लेट को चुनाव चिन्ह रखने का फैसला लिया था। लेकिन दुर्भाग्यवश सभी पार्टी के सदस्यों की इस पर सहमति नहीं बन पाई थी। इसके बाद अंत में फैसला लिया गया है कि सभी आजाद उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
कहा जा रहा है कि बलबीर सिंह राजेवाल नहीं चाहते थे कि वह किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की संयुक्त संघर्ष मोर्चा के चुनाव चिन्ह पर लड़ें, ऐसे में सीधे तौर पर पंजाब के किसानों की हरियाणा के नेता की अधीनगी हो जाएगी।
वही, आपको बता दें कि आज नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन है। नामाकंन के आखिरी दिन नामांकन दाखिल कराना काफी रिस्की माना जाता है दरअसल, ऐसा माना जाता है कि यदि कोई नामांकन के आखिरी दिन नामांकन दाखिल करता है, नामांकन में कोई कमी य कोई गलती हो जाने पर उसे ठीक करने का वक्त नहीं रह पाता है ऐसे में गलत जानकारी दाखिल हो जाती है क्योंकि उसके बाद तो नामांकन से नाम वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि देरी से नामांकन भरने से मोर्चा पार्टी के काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है और इसका सीधा असर मिलने वाली वोटों पर जरूर पड़ेगा। इससे कई उम्मीदवारों के कागज रिजेक्ट हो सकते हैं।