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जानें- चीन और अमेरिका के लिए F-35 का मलबा भी क्‍यों है बेहद खास, जानें विमान की खासियत

ये दुश्‍मन के राडार से छिपा रह सकता है इसलिए ये एक स्टिल्‍थ फाइटर जेट है। ये एक ऐसी तकनीक है जिसको हर देश चाहता है। इस जेट का इस्‍तेमाल अनुमन बेहद खास आपरेशन के लिए किया जाता है।

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

रिपोर्ट : धीरज मिश्रा

नई दिल्‍ली: दक्षिण चीन सागर में दुर्घटनाग्रस्‍त हुए अमेरिका के मोस्‍ट एडवांस्‍ट फाइटर जेट एफ-35 के मलबे को तलाशने में अमेरिका और चीन दोनों ही लगे हैं। इसकी वजह भी बेहद खास है। अमेरिका नहीं चाहता है कि इसके मलबे के जरिए चीन उसकी अति उन्‍नत तकनीक का पता लगा सके। वहीं चीन किसी भी सूरत में न सिर्फ इसके मलब बल्कि इसके ब्‍लैक बाक्‍स को भी खोज लेना चाहता है जो शायद अब तक समुद्र की गहराइयों में छिपा होगा। इसके जरिए चीन न सिर्फ अमेरिका की यहां पर मौजूदगी बल्कि इससे जुड़ी दूसरी अतिमहत्‍वपूर्ण जानकार‍ियां भी हासिल कर लेना चाहता है।

मोस्‍ट एडवांस्‍ड जेट एफ-35

बहरहाल, आपको बता दें कि एफ-35 फाइटर जेट अमेरिका का बेहद एडवांस्‍ड जेट है जिसका इस्‍तेमाल अमेरिका का अलावा, ब्रिटेन और आस्‍ट्रेलिया द्वारा भी किया जाता है। ये दुश्‍मन के राडार से छिपा रह सकता है इसलिए ये एक स्टिल्‍थ फाइटर जेट है। ये एक ऐसी तकनीक है जिसको हर देश चाहता है। इस जेट का इस्‍तेमाल अनुमन बेहद खास आपरेशन के लिए किया जाता है। 100 करोड़ डालर का ये जेट अमेरिका के लिए बेहद खास है। इसकी वजह ये भी है कि ये एक मल्‍टी रोल कांबेट एयरक्राफ्ट है, जिसका इस्‍तेमाल कई चीजों के लिए किया जा सकता है।

लाकहिड मार्टिन ने किया निर्माण

इसका निर्माण लाकहिड मार्टिन कंपनी ने किया है। इसकी एक बड़ी खासियत इसका शार्टटेक आफ और वर्टिकल लैंडिंग है। ये इसके तीन बेहद खास वैरिएंट में से एक है। इसके जरिए ये कहीं भी उतर सकता है। इस जेट की खासियत और अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इसकी फंडिंग में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, आस्‍ट्रेलिया, कनाडा, इटली, नार्वे, डेनमार्क और नीदरलैंड भी शामिल रहे हैं। इसको पाने के लिए कई देशों ने आर्डर भी किया है।

पहली बार यूएस मरीन में शामिल हुआ था जेट

एफ-35 को पहली बार जुलाई 2015 में यूएस मरीन सर्विस में शामिल किया गया था। इसके बाद वर्ष 2016 में इसको यूएस एयरफोर्स और यूएस में इसको वर्ष 2019 में शामिल किया गया था। पहली बार इसका इस्‍तेमाल कांबेट के लिए इजरायली फोर्स ने वर्ष 2018 में किया था। अमेरिका की योजना वर्ष 2044 तक इसके करीब 2456 जेट खरीदने की है। इससे अमेरिका की वायु सेना की ताकत और अधिक हो जाएगी।

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