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निपाह वायरस का खतरा बढ़ा, केरल के कई इलाकों में लॉकडाउन जैसी पाबंदी

कोरोना के बाद अब निपाह वायरस का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस के संक्रमण से दो लोगों की मौत हो गई है जबकि अन्य चार लोग संक्रमित बताए जा रहे हैं। इसके बाद कुछ इलाकों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं। आईसीएमआर ने भी अब निपाह वायरस के संक्रमण को लेकर चिंता जताई है। आईसीएमआर के मुताबिक निपाह वायरस में 100 लोगों में से 40-70 लोगों की जान जाने का खतरा है। जबकि कोरोना संक्रमण में मृत्यु दर सिर्फ 2-3 प्रतिशत थी।

By RNI Hindi Desk 
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नई दिल्लीः कोरोना के बाद अब निपाह वायरस का खतरा बढ़ता ही जा रहा है। केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस के संक्रमण से दो लोगों की मौत हो गई है जबकि अन्य चार लोग संक्रमित बताए जा रहे हैं। इसके बाद कुछ इलाकों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं। आईसीएमआर ने भी अब निपाह वायरस के संक्रमण को लेकर चिंता जताई है। आईसीएमआर के मुताबिक निपाह वायरस में 100 लोगों में से 40-70 लोगों की जान जाने का खतरा है। जबकि कोरोना संक्रमण में मृत्यु दर सिर्फ 2-3 प्रतिशत थी। जांच में पता चला है कि जिन लोगों में निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है, जो निपाह के मरीज के संपर्क में आए थे। आईसीएमआर ने बताया कि अभी उनके पास सिर्फ 10 मरीजों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मौजूद हैं। सरकार ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 डोज और मंगवाई हैं। बता दें कि मरीज को वैक्सीन की डोज संक्रमण के शुरुआती दौर में दी जाती है। हालांकि अभी तक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कितनी सटीक है, इसे लेकर परीक्षण चल रहा है।

निपाह वायरस से बचने के लिए किया जा रहा जागरुक

फिलहाल निपाह वायरस से बचने के लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है और उन्हें बचाव के तरीकों से अवगत कराया जा रहा है। इसके तहत लोगों से संदिग्ध मरीज से दूर रहने, अच्छी तरह हाथ धोने और मास्क पहनने की सलाह दी गई है। जिन जगहों पर निपाह वायरस से संक्रमित मरीज मिले हैं, उन्हें क्वारंटीन कर दिया गया है। बता दें कि निपाह वायरस के संक्रमण में मरीज को बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी, खांसी और खराब गला, दस्त, उल्टी, मसल्स में दर्द और कमजोरी महसूस होती है। संक्रमण गंभीर होने पर कन्फ्यूजन, बोलने में परेशानी, दौरे पड़ना, बेहोशी आना और सांस लेने में दिक्कत शुरू हो जाती है। गंभीर मामलों में मरीज के दिमाग में भी संक्रमण हो सकता है। निपाह वायरस का पहला मामला 1998 में मलेशिया के सुंगई निपाह गांव में मिला था। इसी गांव के नाम पर ही इस वायरस का नाम निपाह पड़ा। सूअर पालने वाले किसान इस वायरस से संक्रमित मिले थे। बाद में पालतू जानवरों से भी संक्रमण फैलने के मामले सामने आए थे।

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