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पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में शांति बहाली को लेकर मिली बड़ी सफलता, अमित शाह ने 50 साल पुराना सीमा विवाद सुलझाया

असम और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों ने दोनों राज्यों के बीच पांच दशक से भी पुराने सीमा विवाद को खत्म करने के लिए गुरुवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के समक्ष एक समझौते पर हस्ताक्षर किए इसके साथ ही दोनों पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा पर स्थित 123 गांवों की समस्या का भी समाधान हो गया।

By RNI Hindi Desk 
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नई दिल्लीः साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र की बीजेपी सरकार को उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में शांति बहाली को लेकर एक बड़ी सफलता मिली है। असम और अरुणाचल के बीच 50 साल से चले आ रहे सीमा विवाद का अंत हो गया है। असम और अरुणाचल प्रदेश की सरकारों ने दोनों राज्यों के बीच पांच दशक से भी पुराने सीमा विवाद को खत्म करने के लिए गुरुवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के समक्ष एक समझौते पर हस्ताक्षर किए इसके साथ ही दोनों पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा पर स्थित 123 गांवों की समस्या का भी समाधान हो गया। असम और अरुणाचल प्रदेश 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और अरुणाचल प्रदेश को 1972 में केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच ये सीमा विवाद चल रहा था। इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच अंतर्राज्यीय सीमा विवाद के समाधान के लिए समझौते पर हस्ताक्षर होना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज, हमने एक विकसित, शांतिपूर्ण और संघर्ष-मुक्त पूर्वोत्तर की स्थापना के लिए मील का पत्थर पार कर लिया है।” केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “1972 से लेकर इस विवाद को सुलझाया नहीं जा सका। 700 किलोमीटर से लंबी अरुणाचल असम की सीमा विवाद को समाप्त कर दिया गया है। ये बहुत बड़ी उपलब्धि है इसके लिए मैं दोनों राज्यों की जनता उनके मुख्यमंत्रियों और किरेण रीजिजू जी को बधाई देता हूं”
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, लोगों की राय ली गई, कमेटी बनाई गई तब जाकर विवाद का समाधान हुआ। उन्होंने कहा, “विवाद मुक्त नार्थ ईस्ट मोदी जी का एक स्वप्न है.” अमित शाह ने कहा, असम मेघालय सीमा विवाद को समाप्त किया गया है। पूरे नार्थ ईस्ट के लिए शुभ लक्षण हैं। 8000 से ज्यादा युवा मेनस्ट्रीम में आ चुके हैं, पूर्वोत्तर में 67 फीसदी आतंकी घटनाओं में कमी आई है, इसके साथ ही आम नागरिकों की मौत की घटनाओं में 87 फीसदी की कमी आई है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 70 फीसदी नार्थ ईस्ट इलाकों से आफस्पा हटा लिया गया है। मोदीजी ने 50 बार से ज्यादा नार्थ ईस्ट की यात्रा की है। उन्होंने कहा, बीहू के रिकॉर्ड नृत्य का साक्षी बनकर असम के कल्चर को प्रसिद्धि दिलाई। ये समझौता दोनों राज्यों की जनता के लिए बहुत शुभ साबित होगा।
दरअसल दो पूर्वोत्तर राज्य असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच पिछले 50 साल से बॉर्डर पर स्थित कुछ गांवों को लेकर विवाद था। दोनों ही राज्य 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। साल 1972 में जब अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया उसी समय से दोनों ही पक्ष इन 123 गांवों पर अपना-अपना दावा करते रहे थे। कई बार प्रयासों के बाद भी दोनों पक्षों में सहमति नहीं बनी थी। गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हाल के दिनों में हुए कई दौर की वार्ता के बाद दोनों ही पक्षों के बीच सहमति बन गई।


अरुणाचल प्रदेश द्वारा स्थानीय आयोग के समक्ष 2007 में जिन 123 गांवों पर दावा किया था, उनमें से 71 पर सौहार्दपूर्ण समाधान निकल आया है। इनमें मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व सरमा और पेमा खांडू के बीच 15 जुलाई, 2022 को ‘नामसाई घोषणापत्र’ पर हस्ताक्षर के दौरान निकले 27 गांवों के समाधान, और आज के समझौते के तहत निकले 34 गांवों के समाधान शामिल हैं। इन 71 गांवों में से अरुणाचल प्रदेश में से एक गांव को असम में शामिल किया जाएगा, 10 गांव असम में ही बने रहेंगे और 60 गांवों को असम से लेकर अरुणाचल प्रदेश में शामिल किया जाएगा। बाकी बचे 52 गांवों में से 49 गांवों की सीमाएं अगले छह महीनों में क्षेत्रीय समितियों द्वारा तय की जाएंगी, वहीं भारतीय वायुसेना के बमबारी क्षेत्र में आने वाले तीन गांवों का पुनर्वास किया जाना आवश्यक है। इस समझौते के तहत दोनों राज्यों की सरकारें सहमत हुई हैं कि 123 गांवों पर यह अंतिम फैसला होगा और ये विवाद खत्म हुआ।
केन्द्रीय मंत्री शाह ने कहा कि ये विवाद आज़ादी के बाद ख़त्म होना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ मुझे ख़ुशी है की ये मेरे कार्यकाल के दौरान हुआ। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जबकि देश स्वतंत्रता का 75वां साल मना रहा है, दोनों राज्यों की अंतरराज्यीय सीमा पर स्थित 123 गांवों का विवाद अब हमेशा के लिए समाप्त हो गया है। शाह ने असम और अरुणाचल प्रदेश द्वारा पुराने लंबित सीमा विवाद को ‘सौहार्दपूर्ण’ तरीके से सुलझाया जाना दोनों राज्यों के लिए ‘ऐतिहासिक’ घटना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आशा जतायी कि 1972 से जारी इस पुराने सीमा विवाद की समाप्ति पूर्वोत्तर राज्यों में सर्वांगिण विकास और शांति लेकर आएगी।

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