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पिछले नौ वर्षों में कामरान ने 50 हजार किलोमीटर साइकिल चलाकर 43 देशों की यात्रा की, पढ़ें

By RNI Hindi Desk 
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नई जगहों पर जाना और शानदार दृश्य देखना तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन मैं आपको यह भी बता दूं कि साइकिलिंग एक ऐसा शौक है जिसमें कभी-कभी बहुत अकेलापन भी महसूस होता है।

आप जंगलों और रेगिस्तान में सैकड़ों मील साइकिल चला रहे होते हैं। कभी-कभी तो जानवरों या पक्षियों की आवाज भी नहीं सुनाई पड़ती हैं। अकेलापन काटने को दौड़ता है। अगर आप इसे बर्दाश्त कर सकते हैं, तो आइए और पैडल चलाइए

ये कामरान अली के शब्द हैं जिन्हें आमतौर पर ‘कामरान ऑन बाइक’ के नाम से जाना जाता है। वो कहते हैं, ‘मैं सोच रहा हूं कि कानूनी तौर पर भी अपना नाम बदल कर कामरान ऑन बाइक रख लूं।’

पिछले नौ वर्षों में कामरान ने 50 हजार किलोमीटर साइकिल चलाकर 43 देशों की यात्रा की है। आज कल कोविड-19 के कारण पाकिस्तान में रुके हुए हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें हरी झंडी मिले और वो अपनी साइकिल के पैडल पर पैर रखें।

हालांकि, इस समय भी वह खाली नहीं बैठे हैं। अपनी पिछली यात्राओं में ली गई अनगिनत तस्वीरों में से, अच्छी तस्वीरों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करते रहते हैं और उनके बारे में ब्लॉग लिखते रहते हैं। यानी यात्रा अभी भी नहीं रुकी है और ‘पिक्चर अभी बाकी है, मेरे दोस्त। एक वर्चुअल इंटरव्यू में कामरान ने अतीत की कुछ यादें साझा की हैं जो हम आपके सामने पेश कर रहे हैं।  साइकिल का जुनून और घर वालों की मार?

मेरा जन्म दक्षिण पंजाब के शहर लेह में हुआ था। मेरे पिताजी की पुराने टायरों की एक दुकान थी, जहां वे टायर में पंक्चर लगाने का काम करते थे। मैं भी दुकान पर उनका हाथ बंटाता था।

मेरे पिता चाहते थे कि मैं पढ़ लिख जाऊं और उनकी तरह पंक्चर बनाने का काम न करूं। इसलिए मैंने लेह से ही इंटरमीडिएट किया और फिर मुल्तान चला गया, जहां मैंने बहाउद्दीन जकरिया विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में बीएससी और फिर एमएससी की। उसके बाद जर्मनी में मेरा एडमिशन हो गया। वहां जाकर मैंने मास्टर्स की और पीएचडी पूरी की।

बचपन में जब मैं 12 या 13 साल का था, तो मैं एक बार अपने एक दोस्त के साथ साइकिल से 12 रबी-उल-अव्वल (अरबी महीना, इस दिन पैगंबर मोहम्मद का जन्म हुआ था और उनकी मृत्यु भी इसी दिन हुई थी) के दिन चौक आजम गया। यह लेह से 26 किलोमीटर दूर एक छोटी सी जगह है।

वहां 12 रबी-उल-अव्वल का एक प्रोग्राम हो रहा था। इस यात्रा में एक और क्लासमेट भी शामिल हो गए। एक आगे बैठा और एक पीछे और मैं 12 साल की उम्र में दो लड़कों को साइकिल पर बिठा कर निकल पड़ा।

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