पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात और शर्तों को पूरा नहीं कर पाने की वजह से अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने भी पाकिस्तान से मुंह मोड़ लिया है। जिसके चलते देश के डिफॉल्ट होने का संकट खड़ा हो गया है। आईएमएफ से मिले झटके के बाद पाकिस्तान की शहबाज सरकार प्लान बी पर काम करने जा रही है। इसी प्लान के तहत बेलऑउट पैकेज मिलने में लगातार हो रही देरी के बाद अब पाकिस्तान, चीन के सामने झोली फैला सकता है।
नई दिल्लीः पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी सेना में जंग के बीच पाकिस्तान कंगाल होने की कगार पर है। आईएमएफ की कड़ी शर्तों के आगे पाकिस्तान और पस्त हो गया है। पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात और शर्तों को पूरा नहीं कर पाने की वजह से अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने भी पाकिस्तान से मुंह मोड़ लिया है। जिसके चलते देश के डिफॉल्ट होने का संकट खड़ा हो गया है। आईएमएफ से मिले झटके के बाद पाकिस्तान की शहबाज सरकार प्लान बी पर काम करने जा रही है। इसी प्लान के तहत बेलऑउट पैकेज मिलने में लगातार हो रही देरी के बाद अब पाकिस्तान, चीन के सामने झोली फैला सकता है।
दरअसल पाकिस्तान को आईएमफ से 6.5 अरब डॉलर के बेलआउट प्रोग्राम की नई किश्त की दरकार है। वहीं आईएमएफ ने शहबाज सरकार की कर्ज की आदत की वजह से उस पर कई शर्तें लगा दी हैं। इधर इमरान खान विवाद के बीच अमेरिका भी शहबाज सरकार से हाथ खड़े कर दिए हैं और आईएमएफ से कर्ज दिलाने में पाकिस्तान की कोई मदद नहीं कर रहा है। ऐसे में बुरी तरह से फंसा पाकिस्तान अब चीन से कर्जा मांगने जा रहा है। खबर के मुताबिक पाकिस्तान के पास अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए चीन से गुहार लगाने के अलावा अब और कोई विकल्प भी नहीं बचा है। देश में गहराते राजनीतिक और आर्थिक संकट के बीच आईएमएफ ने ‘इंतजार करो और देखो’ की नीति अपनाई है, लेकिन इसे लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता। आईएमएफ कार्यक्रम को नौवीं समीक्षा के पूरा होने के बाद पुनर्जीवित करना होगा या फिर कार्यक्रम को खत्म कर दिया जाएगा। पाकिस्तान ने फंड के कर्मचारियों को पहले ही समीक्षा समाप्त करने के लिए कह दिया है, अन्यथा 2023-24 के लिए बजटीय रूपरेखा साझा नहीं की जाएगी। अर्थशास्त्री अब सुझाव देने लगे हैं कि पाकिस्तान सरकार आईएमएफ कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने के लिए अंतिम प्रयास करे या फिर अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए चीन से मदद मांगे। पूर्व वित्त मंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री हाफिज ए. पाशा ने कहा कि अगर आईएमएफ आगे नहीं बढ़ता है, तो पाकिस्तान के पास चीन से अनुरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। आपको बता दें, कि मूडी समेत तमाम अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं ने बताया है, कि अगर जून में पाकिस्तान को आईएमएफ से लोन की किश्त नहीं मिलती है, तो देश दिवालिया हो जाएगा। उधर चीन पहले से ही पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्ज दे रखा है। पिछले साल चीन ने काफी मिन्नतों के बाद पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर का कर्ज दिया था।