कार्तिक माह हिन्दू धर्म के लिए बेहद ख़ास है। एक सप्ताह तक चलने वाले दीपोत्सव के बाद छट पूजा का पर्व आता है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छटी तिथि को मनाया जाता है।
इस वर्ष छठ पर्व की पूजा 20 नवंबर दिन शुक्रवार को की जाएगी। बिहार में यह पर्व विशेषतौर पर बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार संतान और गृहस्थ सुख की कामना से इस व्रत को किया जाता है।
इस व्रत को करने के कुछ नियम भी है ! जैसे षष्ठी तिथि से दो दिन पहले यानि चतुर्थी से नहाय-खाय से आरंभ हो जाता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को पारण करके किया जाता है। छठ पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है।
षष्ठी तिथि को भगवान् सूर्य नारायण की सेवा पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा का आरंभ होता है।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा की जाती है। इस दिन संध्या के समय सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा 20 नवंबर को की जाएगी।
षष्ठी तिथि आरंभ- 19 नवंबर रात 09 बजकर 59 मिनट से
षष्ठी तिथि समापन- 20 नवंबर रात 09 बजकर 29 मिनट तक
20 नवंबर सूर्योदय- सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर
20 नवंबर सूर्यास्त- शाम 05 बजकर 26 मिनट पर है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सायंकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। कहा जाता है कि इससे व्रत रखने वाली महिलाओं को दोहरा लाभ मिलता है। जो लोग डूबते सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें उगते सूर्य की भी उपासना जरूर करनी चाहिए।