नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर देश के कई राज्यों में प्रदर्शन तेज है, खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों में इसका अजर ज्यादा देखने को मिल रहा है। पश्चीम मंगाल में तो प्रदर्शन काफी तेज है और प्रदर्शनकारियों ने कई ट्रनों, बसों और सरकारी कार्यालय को आग के हवाले कर दिया है। इन सब के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने इस कानून में कुछ बदलाव करने का इशारा कर दिया है।
झारखंड में अपनी चुनावी रैली में अमित शाह ने कांग्रेस पर नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। रौली में उन्होंने कहा है कि, इस अधिनियम से पूर्वोत्तर के लोगों की संस्कृति, भाषा, सामाजिक पहचान और राजनीतिक अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। अमित शाह ने आगे कहा कि, मैं असम और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनकी संस्कृति सामाजिक पहचान, भाषा, राजनीतिक अधिकारों को नहीं छुआ जाएगा तथा नरेंद्र मोदी सरकार उनकी रक्षा करेगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और उनकी सरकार के मंत्रियों ने इस मुद्द पर चर्चा को लेकर शुक्रवार को उनसे मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि मेघालय में समस्या है। मैंने उन्हें समझाने का प्रयास किया कि कोई मुद्दा नहीं है। उसके बाद भी उन्होंने मुझसे कानून में कुछ बदलाव करने को कहा। मैंने संगमा जी को क्रिसमस के बाद समय मिलने पर मेरे पास आने को कहा है। हम मेघालय के वास्ते रचनात्मक तरीके से समाधान ढूंढने के लिए सोच सकते हैं। किसी को डरने की जरूरत नहीं है।
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री ने कहा कि, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बस शोर मचा रहे हैं और उन्हें भारत के इतिहास की जानकारी नहीं और उन्होंने अपनी आंखों पर ‘इतालवी चश्मा’ लगा रखा है। हमारी पार्टी की युवा ईकाई का एक जिलाध्यक्ष भी यह बता सकता है कि झारखंड में पांच साल के भाजपा शासन में क्या-क्या विकास कार्य हुए और राहुल गांधी की कांग्रेस ने 55 साल के अपने शासन के दौरान क्या कार्य किए।