रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी
नई दिल्ली: हमारे देश में प्राचीन काल से ही कई प्रकार की प्रथाएं चलती आ रही है। लेकिन समय के साथ-साथ इंसान के रहन-सहन में जैसे-जैसे बदलाव देखने को मिले उसकी सोच और विचार भी बदलने लगे। लेकिन एक ऐसी पुरातन प्रथा है जिसको लेकर आज भी लोगों की सोच में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल पाया है । वो है ‘दहेज प्रथा’, जी हां इंसान जब लालच की गहरी खाई में गौते लगाता है, तो वह सब कुछ रौंदते हुए शैतान की तरह व्यवहार करने लगता है। ‘दहेज प्रथा’ भी इसी व्यवहार का एक नाजिर पेश करता है । ‘दहेज प्रथा’ ने अब तक हमारे समाज में ना जाने कितने घरों को बर्बाद कर दिया है। हालांकि इस प्रथा को रोकने के लिए देश में कई तरह के कानून लाये गए लेकिन इंसान के शैतानी रवैय्ये के आगे सब कुछ फेल रहे। कई आर्टिस्ट, कई कलाकारों ने अपने-अपने तरीकें से ‘दहेज प्रथा’ एक अपराध है ये समझाने की कोशिश की लेकिन लोगों की जागरुकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। तो वहीं इस मार्डन जमाने को मार्डन स्टाइल से जब दहेज प्रथा के प्रति जागरुक करने की कोशिश की गयी तो वो भी नाकामयाब रही।
दरअसल हाल ही में पाकिस्तान के एक फैशन डिजाइनर अली जीशान ने ‘दहेज प्रथा’ का विरोध करने के लिए एक ब्राइडल कलेक्शन पेश किया था। लेकिन कई रुढ़िवादी मानसिकता वाले लोगों ने इसका भी विरोध करना शुरु कर दिया था। दरअसल, यूनाइटेड नेशंस एंटिटी फॉर जेंडर इक्वेलिटी एंड द इंपावरमेंट ऑफ वुमैन पाकिस्तान’ के साथ मिलकर अली जीशान ने एक मुहिम की शुरूआत की है। जिसमें पेश किया गया उनका ब्राइडल कलेक्शन दहेज़ का विरोध कर रहा है। अली जीशान ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इसकी एक वीडियो भी शेयर की थी। जिसपर कई यूजर्स ने तो उनकी बहुत तारीफ की लेकिन कई लोगों ने इसे गलत ठहरा दिया।
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अब ये समाज कब समझेगा कि ‘दहेज प्रथा’ एक अपराध है । ये तो आने वाला समय ही बताएगा।