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Uttar Pradesh चुनाव से पहले दूर हुए Akhileshऔर Shivpal के गिले-शिकवे, गठबंधन की बात तय

Akhilesh and Shivpal's grievances removed before UP elections; 2019 चुनाव में मिली करार हार के बाद आखिरकार जिस बात का कयास लगाया जा रहा था, उसे शिवपाल और अखिलेश ने पूरा कर दिया। साथ ही, ये भी बता दिया की आगामी चुनाव ये दोनों चाचा-भतीजे एक साथ लड़ेंगे।

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : उत्त प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले आखिरकार जिन बातों के कयास लगाए जा रहे थे, वे चुनाव के महीनों के नजदीक होने के साथ ही पूरे होते जा रहे है। जिसमें पहला कयास ये था की आगामी विधानसभा चुनाव चाचा यानी की शिवपाल और भतीजा यानी की अखिलेश एक साथ मिलकर लड़ सकते है। जिसपर अब मोहर लगता नजर आ रहा है।

दरअसल, गुरूवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रसपा अध्यक्ष और अपने चाचा शिवपाल यादव से मुलाकात की। इस दौरान दोनों पार्टियों के बीच यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन पर सहमति बन गई है। यह जानकारी खुद अखिलेश यादव ने ट्वीट कर दी।

 

अखिलेश यादव ने मुलाकात की फोटो शेयर करते हुए लिखा, प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।

अखिलेश ने छुए शिवपाल यादव के पैर

अखिलेश यादव अकेले चाचा शिवपाल के घर पहुंचे, अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के पांव छुए तो भावुक हुए शिवपाल यादव ने उन्हें गले लगाया। अखिलेश यादव की मुलाकात पूरे परिवार के साथ हुई। शिवपाल यादव और उनकी पत्नी यानि अखिलेश यादव की चाची भी मौजूद रहीं। हालांकि, इस दौरान गठबंधन पर भी बात तय हो गई।

2017 चुनाव के बाद दो टुकड़ों में बंट गया था मुलायम परिवार

बता दें कि मुलायम सिंह यादव जिस परिवार को पिछले कई दशक से एक साथ लेकर चल रहे थे, वह 2017 के चुनाव के बाद दो टुकड़ों में बंट गया था। इसकी शुरूआत 2016 में ही हो गई थी। नेता जी के परिवार की यह लड़ाई इस स्तर तक पहुंच गई कि अखिलेश ने चाचा शिवपाल को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया तो चाचा ने भतीजे को ही पार्टी से ही बाहर कर दिया। थोड़े दिन के लिए यह लड़ाई थम गई. लेकिन शिवपाल सिंह यादव ने अपनी अगल पार्टी बनाकर अलग राह चुन ली थी।

2019 चुनाव में मिली थी करारी हार

आपको बता दें कि शिवपाल अभी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के मुखिया हैं। उनकी पार्टी ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन हर जगह हार गई थी. इस हार में उन्हें अपना भविष्य नजर आने लगा था। उन्होंने 12 अक्टूबर से सामाजिक परिवर्तन रथयात्रा शुरू की। इसका मकसद सत्ता परिवर्तन बताया गया था। इस दौरान सत्ता परिवर्तन का तो पता नहीं शिवपाल सिंह यादव का हृदय परिवर्तन जरूर हो गया। उन्होंने पहले सपा से गठबंधन की पेशकश की। फिर सपा में अपनी पार्टी के विलय की बात शुरू कर दी।

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