महाराष्ट्र में कोरोना वायरस का कहर सबसे अधिक देखा गया है। आपको बता दे की कोरोना वायरस के चलते लगाए गए प्रतिबंधों में फिलहाल मंदिरों के कपाट बंद रखे गए हैं और अब राज्य में इस बात पर राजनीति शुरू हो गई है।
इस बाबत राज्य की गठबंधन वाली शिवसेना वाली सरकार का विरोध जारी है। आपको बता दे की मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राज्य स्थित सिद्धिविनायक मंदिर के सामने प्रदर्शन किया।
इसके बाद राज्यपाल ने कहा कि यह विडंबना है कि एक तरफ सरकार ने बार और रेस्तरां खोल दिए हैं, लेकिन मंदिर नहीं खोले गया। ऐसा न करने के लिए आपको दैवीय आदेश मिला या अचानक से सेक्युलर हो गए।
राज्यपाल के इस पत्र पर उद्धव ने भी जवाब लिखकर दे दिया। उन्होंने लिखा- जैसे तुरंत लॉकडाउन लगाना ठीक नहीं था। वैसे ही तुरंत ही इसे हटाना ठीक नहीं है। और हां, मैं हिंदुत्व को मानता हूं। मुझे आपसे हिंदुत्व के लिए सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
उद्धव ठाकरे ने लिखा है कि महाराष्ट्र में धार्मिक स्थल खोलने की चर्चा के साथ कोरोना के बढ़ते मामलों का भी ध्यान रखना चाहिए। मुझे अपना हिंदुत्व साबित करने के लिए आपसे सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
इस पुरे मामले के सामने आने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने तो पीएम मोदी तक को चिट्ठी लिख दी। उन्होंने कहा की माननीय राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर जनता के लिए धार्मिक स्थल खोलने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है।
It was brought to my notice through the media, a letter written by the Hon. Governor of Maharashtra to the @CMOMaharashtra
In this letter the Hon. Governor has sought the intervention of the Chief Minister to open up religious places for the public. pic.twitter.com/1he2VOatx3
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) October 13, 2020
शरद पवार ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, सेक्युलर शब्द हमारे संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा है, राज्य के मुख्यमंत्री से भी अपेक्षा की जाती है कि वह इस शब्द की मर्यादा का ख्याल रखेगा और इसमें कोई बुराई भी नहीं है।
मगर राज्यपाल ने जिस तरह इसका इस्तेमाल किया, ऐसा लगता है कि वह राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि किसी राजनीतिक दल के नेता को संबोधित कर रहे हों। उनकी इस चिट्ठी के बाद अब सांसद ओवैसी ने भी अपनी राय को सोशल मीडिया के जरिए जाहिर किया है।
Very unfortunate that this is coming from a Governor, someone who has sworn an oath on the Constitution. That oath did not require a test on ‘Hindutva-ness’. The CM’s commitment to Hindutva in discharging his duties is irrelevant & should not even have been raised. https://t.co/maKx2nuOE1
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 13, 2020
उन्होंने ट्वीट करते हुए राज्यपाल की चिट्ठी पर सवाल खड़े किए है, उन्होंने लिखा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह राज्यपाल द्वारा किया जा रहा है, जिसने संविधान की शपथ ली है।
आगे उन्होंने लिखा कि उस शपथ के लिए ‘हिंदुत्व’ की आवश्यकता नहीं थी। अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सीएम की हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता अप्रासंगिक है और इसे उठाया भी नहीं जाना चाहिए था।
https://twitter.com/KanganaTeam/status/1315950315972173825
आपको बता दे की इससे पहले कंगना ने भी ट्वीट कर सीएम उद्धव को निशाने पर लिया था। उन्होंने लिखा था कि ये जानकर अच्छा लगा कि गुंडा सरकार से माननीय गवर्नर साहब सवाल पूछ रहे हैं।
आगे उन्होंने लिखा था, गुंडों ने बार और रेस्टोरेंट्स को तो खोल कर रखा है लेकिन रणनीति के हिसाब से मंदिरों को बंद कर रखा है। सोनिया सेना तो बाबर की सेना से भी घटिया बर्ताव कर रही है।