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समर्थकों के दबाव में झुके मुख्यमंत्री एन बीरेन, पद से नहीं देंगे इस्तीफा

मणिपुर करीब दो महीने से हिंसा में जल रहा है। हिंसा के बीच सियासत भी तेज हो गई है। राज्य में बढ़ती हिंसा को देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह अपना इस्तीफा दे सकते हैं। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर पूरी चर्चा थी कि वह अपना इस्तीफा किसी भी वक्त सौंप सकते हैं। जिसकी तैयारी भी पूरी कर ली गई थी, लेकिन भारी संख्या में लोग उनके समर्थन में उतरे और उन पर इस्तीफा नहीं देने का दबाव बनाया गया। जिसके बाद इस्तीफे की अफवाहों पर विराम लगा।

By RNI Hindi Desk 
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इंफालः मणिपुर करीब दो महीने से हिंसा में जल रहा है। हिंसा के बीच सियासत भी तेज हो गई है। राज्य में बढ़ती हिंसा को देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह अपना इस्तीफा दे सकते हैं। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर पूरी चर्चा थी कि वह अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं। जिसकी तैयारी भी पूरी कर ली गई थी, लेकिन भारी संख्या में लोग उनके समर्थन में उतरे और उन पर इस्तीफा नहीं देने का दबाव बनाया गया। जिसके बाद इस्तीफे की अफवाहों पर अब विराम लग गया है। सीएम बीरेन ने खुद इन अटकलों को खारिज करते हुए एक ट्वीट किया है। सीएम ने कहा कि मैं इस कठिन समय में इस्तीफा नहीं दूंगा और लोगों के साथ खड़ा रहूंगा। मुख्यमंत्री के इस्तीफे की बात सामने आते ही इंफाल में हाई-वोल्टेज ड्रामा भी देखने को मिला। हजारों प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन एन सिंह के काफिले को राजभवन की ओर बढ़ने से रोक दिया। हालांकि, जब महिला नेता उनके आवास से बाहर आईं और भीड़ को बताया कि सीएम ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह इस्तीफा नहीं दे रहे हैं, तो भीड़ धीरे-धीरे उनके आवास से तितर-बितर हो गई। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने एक त्याग पत्र टाइप किया था, लेकिन समर्थकों के दबाव में उन्होंने इसे फाड़ दिया। इससे पहले दोपहर में काली शर्ट पहने सैकड़ों युवा और महिलाएं सीएम आवास के सामने बैठ गईं और उन्होंने मांग की है कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा नहीं देना चाहिए। बता दें कि इंफाल में सुबह से ही अफवाहें तेज थीं कि मुख्यमंत्री गुरुवार को राज्य में फिर से हुई हिंसा के बाद पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, अपने हजारों समर्थकों के आगे उन्हें झुकना पड़ा।

हिंसक भीड़ पर पुलिस ने किया था लाठीचार्ज

बता दें कि एक दिन पहले मणिपुर के कांगपोकपी जिले में गुरुवार की सुबह सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में दो उपद्रवियों की मौत हो गई थी और पांच घायल हो गए थे। अधिकारियों के मुताबिक उपद्रवियों ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की थी। सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति पर काबू पाने के लिए इसके जवाब में फायरिंग की थी। इस घटना के बाद मृतक दोनों उपद्रवी जिस समुदाय से आते हैं, उसके सदस्यों ने इंफाल में मुख्यमंत्री आवास तक जुलूस निकालने की कोशिश की थी। जब पुलिस ने इन्हें सीएम आवास तक जाने से रोका तो जुलूस हिंसक हो गया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-वितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।

दो समुदायों के बीच भड़की थी हिंसा

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था, जिसके बाद हिंसा शुरू हो गई थी। राज्य की 53 फीसदी आबादी मैतेई समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह खासतौर पर पर्वतीय जिलों में निवास करती है।

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