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ब्रिक्स समिटः पीएम मोदी व शी जिनपिंग में मुलाकात, क्या पिघलेगी बर्फ?

ब्रिक्स समिट में दक्षिण अफ्रीका में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई। शी जिनपिंग से चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा पर शांति जरूरी है, ताकि दोनों देशों के संबंध सामान्य रहें। इससे पहले समिट के आखिरी दिन दोनों नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले बातचीत करते नजर आए थे। कॉन्फ्रेंस के बाद मोदी और जिनपिंग ने हाथ भी मिलाया था। बाद में फॉरेन सेक्रेटरी विनय क्वात्रा ने बताया- मोदी और जिनपिंग इस बात पर सहमत हुए हैं कि लद्दाख में सैन्य तैनाती कम की जाएगी और तनाव कम किया जाएगा।

By RNI Hindi Desk 
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सीनियर जर्नलिस्ट प्रताप राव की कलम से…

नई दिल्लीः ब्रिक्स समिट के आखिरी दिन दक्षिण अफ्रीका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई। आज चीनी विदेश मंत्रालय ने दावा किया कि ये मीटिंग भारत की रिक्वेस्ट पर हुई है। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने चीन के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। शी जिनपिंग से चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा पर शांति जरूरी है, ताकि दोनों देशों के संबंध सामान्य रहें। इससे पहले समिट के आखिरी दिन दोनों नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले बातचीत करते नजर आए थे। कॉन्फ्रेंस के बाद मोदी और जिनपिंग ने हाथ भी मिलाया था। बाद में फॉरेन सेक्रेटरी विनय क्वात्रा ने बताया- मोदी और जिनपिंग इस बात पर सहमत हुए हैं कि लद्दाख में सैन्य तैनाती कम की जाएगी और तनाव कम किया जाएगा। फॉरेन मिनिस्ट्री ने बताया है कि चीन की तरफ से कई महीनों से बाइलेट्रल मीटिंग की रिक्वेस्ट पेंडिंग थी। इसके बाद ही दोनों नेताओं में अनौपचारिक बातचीत हुई। चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा था कि मीटिंग के दौरान चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहतर करने पर जोर दिया। इस दौरान राष्ट्रपति जिनपिंग ने शांति और विकास के लिए अच्छे संबंधों को जरूरी बताया। साथ ही उन्होंने सीमा विवाद पर दोनों देशों की तरफ से सही अप्रोच होने की बात कही, जिससे शांति बनाई जा सके। वहीं PM मोदी ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव के मुद्दे को उठाया।

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी पर करीब 3 साल पहले 2020 में हिंसक झड़प हुई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन इसे लगातार छिपाता रहा। गलवान घाटी पर दोनों देशों के बीच 40 साल बाद ऐसी स्थिति पैदा हुई थी। गलवान पर हुई झड़प के पीछे की वजह यह थी कि गलवान नदी के एक सिरे पर भारतीय सैनिकों अस्थाई पुल बनाने का फैसला लिया तो चीन ने इस क्षेत्र में अवैध रूप से बुनियादी ढांचे का निर्माण करना शुरू कर दिया था। इससे पहले 14 अगस्त को भारत और चीन के बीच मेजर जनरल और 19वीं कॉर्प्स कमांडर लेवल की बातचीत हुई थी। इस दौरान सीमा विवाद पर डिटेल में चर्चा की गई थी।

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