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Loksabha Election: मुख्यमंत्री मोहन यादव तूफानी दौरा, खंडवा-खरगोन में करेंगे प्रचार

Loksabha Election: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए प्रचार-प्रसार चरम पर है. गुरुवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सहित भाजपा-कांग्रेस के सभी बड़े नेता मालवा निमाड़ में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे हुए हैं.

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

Loksabha Election: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की समाप्ती के साथ चौथे चरण के मतदान का काउंटडाउन शुरू हो गया है. यह मध्य प्रदेश में आखिरी चरण का मतदान होगा. इसी के साथ सभी 29 लोकसभा सीटों पर वोटिंग संपन्न हो जाएगी. चौथे चरण में 8 सीटों पर वोटिंग होगी. इलेक्शन को लेकर भारत निर्वाचन आयोग  ने समीक्षा की. इस बार भी वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा. इसी के साथ आज सीएम मोहन यादव का चुनावी दौरा जारी हैं.

CM के आज के कार्यक्रम गुरुवार को खंडवा, खरगोन और देवास दौरे पर हैं. सीएम सुबह 10.40 बजे खंडवा लोकसभा क्षेत्र के हेलापड़ाव, दोपहर 12.15 बजे खरगोन के निवाली और  दोपहर 1.45 बजे बड़वानी विधानसभा में जनसभा करेंगे. दोपहर 3 बजे खंडवा के बागली सभा और शाम 7 बजे देवास में जनसभा और रोड-शो करेंगे.

खंडवा लोकसभा सीट इतिहास

खंडवा लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से एक है. इस सीट पर मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होता आया है. बीजेपी के नंदकुमार चौहान इस सीट से सबसे ज्यादा बार जीतने वाले सांसद हैं. यहां की जनता ने उनको पांच बार चुनकर संसद पहुंचाया है. 1996, 1998, 1999 और 2004 का चुनाव जीतकर उन्होंने इस सीट पर अपना दबदबा बनाए रखा. हालांकि 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके अगले चुनाव 2014 में उन्होंने इस सीट पर वापसी की और शानदार जीत दर्ज की.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

खंडवा में लोकसभा का पहला चुनाव 1962 में हुआ था. कांग्रेस के महेश दत्ता ने पहले चुनाव में जीत हासिल की. कांग्रेस ने इसके अगले चुनाव 1967 और 1971

में भी जीत हासिल की. 1977 में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर कांग्रेस को हरा दिया. कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी 1980 में की. तब शिवकुमार सिंह ने इस सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई थी. कांग्रेस ने इसका अगला चुनाव भी जीता.1989 में बीजेपी ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की.  हालांकि बीजेपी की खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी. और 1991 में उसे कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

1996 में बीजेपी की ओर से नंदकुमार चौहान मैदान में उतरे और उन्होंने खंडवा में बीजेपी की वापसी कराई. वे अगला 3 चुनाव जीतने में भी कामयाब रहे. 2009 में अरुण सुभाष चंद्रा ने यहां पर कांग्रेस की वापसी कराई. 2009 में हारने के बाद नंदकुमार ने एक बार फिर यहां पर वापसी की और अरुण सुभाष चंद्र को मात दी. बीजेपी को यहां पर 6 बार तो कांग्रेस को 7 बार जीत मिली है.

खंडवा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. बगाली, पंधाना, भीखनगांव, मंधाता, नेपानगर,बदवाह, खंडवा, बुरहानपुर यहां की विधानसभा सीटें हैं. यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 3 पर बीजेपी, 4 पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय का कब्जा है.

सामाजिक ताना-बाना

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार खंडवा शहर का प्राचीन नाम खांडववन(खांडव वन)था जो मुगलों और अंग्रेजो के आने से बोलचाल में धीरे धीरे खंडवा हो गया .खंडवा नर्मदा और ताप्‍ती नदी घाटी के मध्य बसा है. ओमकारेश्‍वर यहां का लोकप्रिय और पवित्र दर्शनीय स्‍थल है. इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिगों में शुमार किया जाता है.

2011 की जनगणना के मुताबिक खंडवा की जनसंख्या 2728882 है. यहां की 76.26 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 23.74 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. खंडवा में 10.85 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 35.13 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है. चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर 17,59,410 मतदाता थे. इनमें से 8,46, 663 महिला मतदाता और 9,12,747 पुरुष मतदाता थे. 2014 के चुनाव में इस सीट पर 71.46 फीसदी मतदान हुआ था.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नंदकुमार चौहान ने कांग्रेस अरुण यादव को हराया था. नंदकुमार को 717357(57.05 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं अरुण यादव को 457643(36.4 फीसदी) वोट मिले थे.दोनों के बीच हार जीत का अंतर 259714 वोटों का था. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी 1.34 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी.

इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के अरुण यादव ने जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी के नंदकुमार चौहान को हराया था. इस चुनाव में अरुण यादव को 394241(48.53 फीसदी ) वोट मिले थे तो वहीं नंदकुमार चौहान को 345160(42.49 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 49081 वोटों का था.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

66 साल के नंदकुमार चौहान 2014 का चुनाव जीतकर पांचवीं बार सांसद बने. पेशे से किसान नंदकुमार ने बीए की पढ़ाई की है. संसद में उनके प्रदर्शन की बात करें तो 16वीं लोकसभा में उनकी उपस्थिति 54 फीसदी रही. वे 7 बहस में हिस्सा लिए. उन्होंने संसद में 6 सवाल किया.

नंदकुमार चौहान को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 22.86 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 19.54 यानी मूल आवंटित फंड का 85.07 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 3.32 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया.

खंडवा के बारे में

मध्य प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट (Khandwa Lok Sabha Election Results 2019) पर 2014 में हुए चुनाव में BJP के नन्द कुमार सिंह चौहान ने जीत हासिल की थी. उन्हें 7,17,357 वोट मिले थे और 4,57,643 वोट पाकर दूसरे पायदान पर कांग्रेस के अरुण सुभाषचंद्र यादव रहे थे.

खंडवा लोकसभा सीट से 1952 और 1957 में कांग्रेस के बाबूलाल तिवारी, 1962 में कांग्रेस के महेश दत्ता मिश्रा, 1967 और 1971 में कांग्रेस के गंगाचरण दीक्षित ने दो बार जीत हासिल की, 1977 में भारतीय लोकदल के परमानंद ठाकुरदास गोविंदजीवाला, 1980 में कांग्रेस के ठाकुर शिवकुमार नवल सिंह, 1984 में कांग्रेस के कालीचरण रामरतन सकरगय, 1989 में BJP के अमृतलाल तारवाला, 1991 में कांग्रेस के ठाकुर महेन्द्र कुमार नवल सिंह, 1996, 1998, 1999 और 2004 में BJP के नन्द कुमार सिंह चौहान ने चार बार जीत हासिल की. 2009 में कांग्रेस के अरुण सुभाषचंद्र यादव ने जीत हासिल की थी.

खंडवा लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटें मान्धाता, बुरहानपुर, बड़वाह, बागली, पंधाना, नेपानगर, बीकनगांव और खंडवा हैं. बागली, पंधाना, नेपानगर, बीकनगांव सीटें अनुसूचित जनजाति और खंडवा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है.

खरगोन लोकसभा इतिहास

भारत के उत्तर व दक्षिण प्रदेशों को जोड़ने वाले प्राकृतिक मार्ग पर बसा खरगोन मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण शहरों में से एक है. साल 1962 में यहां पर पहला चुनाव हुआ और जनसंघ ने जीत का परचम फहराया. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला रहा है.

बीजेपी इस सीट पर जीत का चौका लगा चुकी है. 1989 से 1999 के बीच हुए चुनाव में उसने लगातार यहां पर विजय हासिल की. खरगोन लोकसभा सीट पर हुए हाल के चुनावों पर नजर डालें तो पिछले 2 चुनावों में बीजेपी और 1 चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. बीजेपी के सुभाष पटेल यहां के सांसद हैं.

सामाजिक ताना-बाना

1 नवंबर  1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही खरगोन  पश्चिम निमाड़ के रूप में अस्तित्व में आ गया था. यह मध्य प्रदेश की दक्षिणी पश्चिमी सीमा पर स्थित है. इस जिले के उत्तर में धार, इंदौर व देवास, दक्षिण में महाराष्ट्र, पूर्व में खण्डवा, बुरहानपुर तथा पश्चिम में बड़वानी है. यह शहर नर्मदा घाटी के लगभग मध्य भाग में स्थित है.

2011 की जनगणना के मुताबिक खरगोन की जनसंख्या 26,25,396 है. यहां की 84.46 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 15.54 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. यहां अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या अच्छी खासी है. खरगोन में 53.56 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति के लोगों की है और 9.02 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति की है. यहां पर 17,61,005 मतदाता हैं.

चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़े के मुताबिक यहां पर 17,03,271 मतदाता थे, जिनमें से 8,66,897 पुरुष मतदाता और 8,36,374 महिला मतदाता थे. 2014 में इस सीट पर 67.67 फीसदी मतदान हुआ था.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

खरगोन लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 1962 में हुआ. फिलहाल यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. यहां पर हुए पहले चुनाव में जनसंघ के रामचंद्र बडे को जीत मिली थी. हालांकि अगले चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस के एस बाजपेयी को जीत मिली.

1971 के चुनाव में रामचंद्र ने एक बार फिर वापसी की और कांग्रेस के अमलोकाचंद को मात दी. बीजेपी को पहली बार इस सीट पर जीत 1989 में मिली और अगले 3 चुनावों में उसने यहां पर विजय हासिल की. कांग्रेस ने 1999 में यहां पर फिर वापसी की और ताराचंद पटेल यहां के सांसद बने. इसके अगले चुनाव 2004 में बीजेपी के कृष्ण मुरारी जीते. 2007 में यहां पर उपचुनाव और कांग्रेस ने वापसी की. कृष्ण मुरारी को इस चुनाव में हार मिली.

2009 में परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित हो गई. यहां पर पिछले 2 चुनावों में बीजेपी की जीत मिली है. यहां की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को बराबरी का मौका दी है.

फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.सुभाष पटेल यहां के सांसद हैं. बीजेपी को यहां पर 7 चुनाव में जीत मिली है तो कांग्रेस को 5 चुनाव में जीत मिली है. खरगोन लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. देपालपुल, इंदौर 3,राऊ, इंदौर 1, इंदौर 4, सनवेर,  इंदौर 5, इंदौर 2 यहां की विधानसभा सीटें हैं. इन 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है.

2014 का जनादेश

2014 के चुनाव में बीजेपी के सुभाष पटेल को 649354(56.34 फीसदी) वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के रमेश पटेल को 391475(33.97 फीसदी)वोट मिले थे. आम आदमी पार्टी 2.71 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी.

इससे पहले 2009 के चुनाव में बीजेपी के मक्कन सिंह को जीत मिली थी.उन्होंने का बालाराम बच्चन को हराया था. मक्कन सिंह को 351296(46.19 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं बालाराम बच्चन को 317121(41.7 फीसदी) वोट मिले थे. सीपीआई4.19 फीसदी वोटों के साथ इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

41 साल के सुभाष पटेल 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने. पेशे से किसान सुभाष पटेल ने एमए किया है. संसद में उनकी उपस्थिति का बात करें तो वह उनकी मौजूदगी 90 फीसदी रही. उन्होंने 8 बहस में हिस्सा लिया और 95 सवाल किए.

सुभाष पटेल को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 24 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 19.72 यानी मूल आवंटित फंड का 87.62 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 4.29 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया.

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