महाराष्ट्र में सियासी घमासान दिन प्रतिदिन एक नई गुत्थी में उलझता जा रहा है, आए दिन इस सियासी मामले में नए- नए मोड़ निकल कर सामने आ रहे है ।
विधानसभा चुनाव के नतीजे को आए हुए लगभग 18 दिन पूरे हो चुके है लेकिन अभी तक कोई भी पार्टी इस मामले की गुत्थी को नहीं सुलझा पा रही है, यहां तक गठबंधन से अलग होकर भी शिवसेना ने एनसीपी का भी दामने थामने के लिए तैयार हो गई है..
लेकिन एनसीपी की कुछ शर्तों के कारण वहां भी बात नहीं बन पाई है। जिसके वजह से राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में मौजूदा हालात को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाया है और मोदी सरकार ने भी कोई भी पार्टी किसी नतीजे पर न पहुंचे के कारण राज्यपाल कोश्यारी के इस फैसले को मंजूरी दे दी है ।
शिवसेना की शर्तें-
एनसीपी की शर्तें-
1) भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 में उत्तराखंड के बागेश्वर जिले स्थित नामती चेताबागड़ गांव में जन्म हुआ।
2) आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में की पढ़ाई, और छात्र जीवन में कोश्यारी ने राजनीति में कदम रखा, 1961 में अल्मोड़ा कॉलेज में छात्रसंघ के महासचिव चुने गए ।
3) 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल का कोश्यारी ने विरोध किया और उन्हें पौने दो साल तक जेल में रहना पड़ा और जब वह 23 मार्च 1977 को रिहा हुए, जिससे उन्हें राजनीतिक पहचान मिली।
4) राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड भाजपा के पहले अध्यक्ष भी रहे चुके हैं, और आरएसएस के लम्बें समय तक सदस्या भी रहे चुके है।
5) उत्तराखंड के 2002 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हार जाने के बाद कोश्यारी ने 2002 से लेकर 2007 तक विधानसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली है
6) 2007 से लेकर 2009 तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली, इसी दौरान 2007 में बीजेपी की उत्तराखंड की सत्ता में वापसी हुई।
7) 2008 से 2014 तक उत्तराखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे, और 2014 में बीजेपी ने नैनीताल सीट से उन्हें मैदान में उतारा और वह जीतकर पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए।
8) 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, आरएसएस से भगत सिंह कोश्यारी की नजदीकी होने के कारण मोदी सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी दी है।