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2000 के नोट वापसी से बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था, जीडीपी की दर 8.1 फीसदी रहने का अनुमान

आरबीआई द्वारा 2 हजार रुपये के नोट वापसी का फैसला आर्थिक मोर्चे पर लाभदाय साबित हो रहा है। भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक 2 हजार रुपये से बाजार में मांग बढ़ी है। लोग आभूषण, एसी, मोबाइल फोन आदि की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। कई लोग रियल एस्टेट में भी पैसा लगा रहे है। जिससे बाजार में मांग काफी तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.1 फीसदी हो जाएगी।

By RNI Hindi Desk 
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नई दिल्लीः नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले महीने 2 हजार के नोट को वापस लेने का फैसला किया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा था कि 30 सितंबर 2023 तक बैंकों में या खरीदारी के लिए 2 हजार के नोट उपयोग में लाए जा सकते हैं। लेकिन 30 सितंबर के बाद इसे चलन से बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन आरबीआई द्वारा 2 हजार रुपये के नोट वापसी का फैसला आर्थिक मोर्चे पर लाभदाय साबित हो रहा है। भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक 2 हजार रुपये से बाजार में मांग बढ़ी है। लोग आभूषण, एसी, मोबाइल फोन आदि की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। कई लोग रियल एस्टेट में भी पैसा लगा रहे है। जिससे बाजार में मांग काफी तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.1 फीसदी हो जाएगी। जबकि इससे पहले आरबीआई का अनुमान था कि इस वित्तीय वर्ष में जीडीपी में 6.5 फीसदी वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 हजार रुपये के नोट वापस लेने के प्रभाव हावी रहे हैं। जिसकी वजह से अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर 8.1 फीसदी रहने की उम्मीद है। आरबीआई ने जून महीने की शुरुआत में कहा था कि 2 हजार रुपये मूल्य वर्ग के आधे से अधिक नोट वापस आ चुके हैं। इनमें से 85 फीदसी नोट बैंकों में जमा के रूप में आए थे जबकि 15 फीसदी नोट बैंक काउंटरों पर अन्य मूल्य के नोट से बदले गए थे।

एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2 हजार रुपये के नोट के रूप में कुल 3.08 लाख करोड़ रुपये नोट जमा प्रणाली में वापस आएंगे। इनमें से करीब 92 हजार करोड़ रुपये बचत खातों में जमा किए जाएंगे जिसका 60 फीसदी यानि तकरीबन 55 हजार करोड़ रुपये निकासी के बाद लोगों के पास खर्च के लिए पहुंच जाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि खपत में गुणक बढ़ोतरी की वजह से लंबे समय में यह कुल बढ़ोतरी 1.83 लाख करोड़ रुपये तक रह सकती है। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई है कि नोट वापस लेने के आरबीआई के कदम से मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थानों को मिलने वाले दान में भी बढ़ोतरी हो सकती है। इसके अलावा ई-कॉमर्स, फूड और ऑनलाइन ग्रॉसरी सेगमेंट में कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी समेत टिकाऊ वस्तुओं और फर्नीचर की खरीद को भी वृद्धि होने की उम्मीद है।

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