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कल से दो दिवसीय फ्रांस दौरे पर पीएम मोदी, फ्रांस से 26 राफेल- M की डील होगी साइन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 और 14 जुलाई को फ्रांस के दौरे पर रहेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरे पर भारत और फ्रांस के बीच भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-M फाइटर जेट्स की डील साइन होगी। पिछले दिनों रक्षा खरीद परिषद ने इसकी मंजूरी दी थी। इन जेट्स के अलावा भारत के मझगांव डॉक्‍स लिमिटेड की तरफ से तीन अतिरिक्‍त स्‍कॉर्पियन क्‍लास की पनडुब्‍बी निर्माण की घोषणा भी होगा। फ्रांस से आने वाले राफेल, नौसेना के मिग-29K जेट्स की जगह लेंगे।

By RNI Hindi Desk 
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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 और 14 जुलाई को फ्रांस के दौरे पर रहेंगे। माना जा रहा है कि इस दौरे पर भारत और फ्रांस के बीच भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-M फाइटर जेट्स की डील साइन होगी। पिछले दिनों रक्षा खरीद परिषद ने इसकी मंजूरी दी थी। इन जेट्स के अलावा भारत के मझगांव डॉक्‍स लिमिटेड की तरफ से तीन अतिरिक्‍त स्‍कॉर्पियन क्‍लास की पनडुब्‍बी निर्माण की घोषणा भी होगा। फ्रांस से आने वाले राफेल, नौसेना के मिग-29K जेट्स की जगह लेंगे। बताया जा रहा है कि  ये जेट्स पुराने पड़ चुके हैं और पिछले काफी समय से इन्‍हें हटाने का प्रयास किया जा रहा है। राफेल के अलावा अमेरिका का हॉर्नेट जेट भी इस रेस में था। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि रूस से भारतीय नौसेना को मिलने वाले मिग-29K अपने शुरुआती दिनों से ही उसकी जरूरतों को पूरा करने में असफल साबित हुए हैं। नौसेना के पास इकलौता यह फाइटर जेट है जो दुश्‍मनों के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए है। रक्षा विशेषज्ञों की राय में जेट ऐसा होना चाहिए जो एयरक्राफ्ट कैरियर से अपने हर ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा कर सके। ऐसे में उसका मजबूत होना सबसे बड़ी जरूरत है। एयरक्राफ्ट कैरियर पर उसकी लैंडिंग के बाद अक्‍सर सेटिंग्स बदल जाती हैं और उन्हें फिर से सेट करना पड़ता है। ऐसे में एक नए जेट की सख्‍त जरूरत है। आईएनएस विक्रमादित्‍य से मिग-29K को ऑपरेट किया जाता है।

बता दें कि नौसेना ने कुछ समय पहले सी-हैरियर को रिटायर कर दिया था। साल 2016 में आई कैग की रिपोर्ट में भी मिग-29K जेट पर सवाल उठाए गए थे। कैग में कहा गया था कि मिग-29K को सिर्फ भारतीय नौसेना ही ऑपरेट कर रही है। इंजन, एयरफ्रेम और फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम में खामियों की वजह से ये जेट लंबे समय तक ऑपरेशन में नहीं रह सकते हैं। भारत ने साल 2004 और 2010 में दो अलग-अलग ऑर्डर के तहत 10,000 करोड़ रुपए की लागत से रूस से 45 मिग-29K जेट्स और उपकरणों की डील की थी। राफेल-M भी भारतीय नौसेना की वॉरशिप आईएनएस विक्रांत से ऑपरेट होगा। भारत से पहले राफेल एम को ग्रीस, इंडोनेशिया और यूएई की सेनाएं प्रयोग कर रही हैं। नौसेना ने साल 2022 में जेट का ट्रायल किया था और इसकी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंप दी थी। नौसेना का मानना है कि राफेल उसकी जरूरतों को कई ज्‍यादा बेहतरी से पूरा कर सकता है। फ्रेंच नेवी के पास इस समय 240 राफेल-M जेट हैं।

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