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यूक्रेन ने किया बड़ा दावा, कही ये बात, पढ़ें

 यूक्रेन ने कहा है कि रूसी सेना से मोर्चा लेने के दौरान पकड़ी गईं यूक्रेनी महिला सैनिकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। दावा किया गया है कि 12 से अधिक यूक्रेनी महिला सैनिक अभी भी रूसी सेना के कब्जे में हैं। रूसी सेना उन्हें प्रताड़ित कर रही है और उनके ऊपर खौफनाक जुल्म हो रहा है।

By RNI Hindi Desk 
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यूक्रेन ने कहा है कि रूसी सेना से मोर्चा लेने के दौरान पकड़ी गईं यूक्रेनी महिला सैनिकों को प्रताड़ित किया जा रहा है। दावा किया गया है कि 12 से अधिक यूक्रेनी महिला सैनिक अभी भी रूसी सेना के कब्जे में हैं। रूसी सेना उन्हें प्रताड़ित कर रही है और उनके ऊपर खौफनाक जुल्म हो रहा है।

दरअसल, सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सेना ने शुक्रवार को बंदी बनाए गए 86 यूक्रेनी सैनिकों को रिहा किया जिसमें 15 महिला सैनिक भी शामिल थीं। इसी बीच एक यूक्रेनी मानवाधिकार अधिकारी ने दावा किया कि रूस ने जिन यूक्रेनी महिला सैनिकों को अपने कब्जे में लिया उन्हें पहले बेलारूस और बाद में रूस के ब्रियांस्क में प्री ट्रायल डिटेंशन सेंटर पर ले जाया गया। वहां उन्हें धमकाया गया और कई तरह की यातनाएं भी दी गईं।

यूक्रेनियन पार्लियामेंट कमिश्नर फॉर ह्यूमन राइट्स, लयुडमेला डेनिसोवा ने अपने आधिकारिक टेलीग्राम पेज पर मंगलवार को बताया कि महिला सैनिकों को पुरूषों के सामने निवस्त्र किया गया, उनके बाल काटे गए और उनका मनोबल तोड़ने के लिए इसी अवस्था में पूछताछ भी की गई। इस घटना के बारे में संयुक्त राष्ट्र आयोग ने रूसी सेना द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की जांच की अपील भी की गई। मांग की गई कि इस जांच में विशेषज्ञों को शामिल किया जाए।

मानवाधिकार अधिकारी ने यह भी बताया कि यूक्रेनी युद्धबंदियों के साथ रूसी सेना द्वारा मारपीट की जा रही है, उन्हें भूखा रखा जा रहा है। बता दें कि इससे पहले पिछले एक सप्ताह तक दोनों देशों के बीच इस मामले में चली लंबी बातचीत चली थी। इसके बाद दोनों पक्षों ने 86 कैदियों को दोनों ओर से रिहा किया था।

जेलेंस्की ने कहा कि मैं एंजेला मर्केल और निकोलस सारकोजी को बूचा आने के लिए आमंत्रित करता हूं, यह देखने के लिए कि रूस को 14 साल की रियायतों की नीति के कारण क्या हुआ है। ये नेता अपनी आंखों से देखें कि उत्पीड़ित और मारे गए यूक्रेनियन लोगों के शव बूचा की सड़कों पर कैसे पड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि 2008 में रोमानिया के बुखारेस्ट में नाटो शिखर सम्मेलन की 14वीं वर्षगांठ पर एक बहस के बाद नाटो ने जॉर्जिया और यूक्रेन को गठबंधन में शामिल करने और सदस्यता का वादा कि था, हालांकि इसे लेकर कोई समय सीमा नहीं दी गई थी।

जेलेंस्की के आरोपों पर एंजेला मर्केल ने अपने प्रवक्ता के जरिए सफाई देने की कोशिश की है। मर्केल ने कहा कि वह बुखारेस्ट में 2008 के नाटो शिखर सम्मेलन के संबंध में अपने फैसलों पर कायम हैं। हालांकि, उन्होंने यूक्रेन के साथ खड़े होने और यूक्रेन के खिलाफ रूस की बर्बरता और युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों का भी समर्थन किया। वहीं, निकोलस सारकोजी की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन जर्मनी और फ्रांस ने इस युद्ध के दौरान भी यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें यूक्रेन की ओर से परमाणु हथियारों से लैस रूस से लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने नाटो देश के राजनेताओं पर रूस के बेतुके डर को पनाह देने का आरोप लगाया। जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने सोचा कि यूक्रेन को मना करके, वे रूस को खुश कर सकते हैं। उन्हें आशा थी कि ऐसा कर वे रूस को यूक्रेन का सम्मान करने और हमारे साथ सामान्य रूप से रहने के लिए मना सकते हैं। हालांकि बाद में जेलेंस्की ने जोर देकर कहा कि मैंने यूक्रेन में हुए अपराधों के लिए रूसी सैनिकों को छोड़कर पश्चिम या किसी और को दोष नहीं दिया है, लेकिन हमें अनिर्णय के बारे में बात करने का अधिकार है।

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