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यांग यी से जयशंकर की मुलाकात, मॉस्को की तीन दिवसीय यात्रा के लिए हुए रवाना

विदेश मंत्री एस जयशंकर 10 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन  के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने मॉस्को जायेंगे। गुरुवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को की तीन दिवसीय यात्रा के लिए रवाना हो गए।

By RNI Hindi Desk 
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विदेश मंत्री एस जयशंकर 10 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन  के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने मॉस्को जायेंगे। गुरुवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को की तीन दिवसीय यात्रा के लिए रवाना हो गए।

बता दें, 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद पैदा हुए गतिरोध को हल करने के लिए कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता हो चुकी है, लेकिन कुछेक सीमा पाइंट्स से ही सेना की वापसी हो सकी है। पूर्ण सैन्य वापसी पर गतिरोध कायम है। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि जहां तक पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति का सवाल है, हमने राजनयिक और सैन्य दोनों माध्यमों से चीनी पक्ष के साथ निरंतर संवाद कायम रखा है। पूर्वी लद्दाख में 2020 में शुरू हुई चीनी आक्रामकता को लेकर रक्षा मंत्रालय ने अपनी समीक्षा में कहा था कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक से अधिक क्षेत्रों में यथास्थिति को बदलने के लिए चीनियों द्वारा की गई एकतरफा और उत्तेजक कार्रवाई का माकूल जवाब दिया गया है।

यह हम सब जानते हैं कि चीन और भारत की गिनती दुनिया के सभ्य देशों में होती हैं। अतीत के एक लंबे इतिहास में इन दोनों देशों की जनता के बीच आवाजाही रही है और एक दूसरे से बहुत कुछ सीखा गया है। दोनों देशों ने न सिर्फ विश्व संस्कृति में अपना-अपना योगदान दिया है, बल्कि एक दूसरे के साथ सांस्कृतिक विकास में भी बड़ी भूमिका अदा की है। अगर चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान न होता, तो दोनों देशों का सांस्कृतिक विकास आज जैसा बिल्कुल नहीं होता। चीन और भारत का सांस्कृतिक संबंध इतना घनिष्ठ और गहरा है कि दुनिया में ऐसा और कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता।

जाहिर है, सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों देशों के मनमुटाव को मिटाने और लोगों की आपसी समझ को बढ़ाने के लिए मददगार है। आज के समय में दोनों देश विश्व शांति के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं। दुनिया की 40 फीसद आबादी इन्हीं दो देशों में रहती है। अगर दोनों देश साथ मिलकर चलें तो पूरी दुनिया इन दोनों देशों का अनुसरण करेगी। इसके लिए जरूरी है कि दोनों देश एक दूसरे के हितों को समझें और उनका सम्मान करें। एकदूसरे के साथ सहयोग करना ही दोनों देशों के सुधरते रिश्तों की बुनियाद है। भारत के नये भारत और चीन के नये युग की कोशिश दुनिया के हित में है, क्योंकि चीन और भारत पिछले 2000 सालों में से 1600 सालों से वैश्विक आर्थिक विकास में इंजन की तरह काम कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत और चीन दोनों की सामाजिक प्रणाली अलग-अलग है, फिर भी दोनों प्राचीन पूर्वी देश हैं। दुनिया के दो सबसे बड़े विकासमान देशों के विकास को लेकर पूरी दुनिया आशावान है।

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