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डोभाल का चीन को कड़ा संदेश, चीनी राजनयिक से बोले- भरोसा टूटा है

दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में ब्रिक्‍स देशों के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सम्‍मेलन में NSA अजित डोभाल ने चीन के वांग यी से मुलाकात कर कड़ा संदेश दिया है। वांग के साथ मुलाकात में डोभाल ने उन्‍हें स्‍पष्‍ट कर दिया कि वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर जो स्थिति है उसकी वजह से आपसी भरोसा कम हुआ है।

By RNI Hindi Desk 
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नई दिल्लीः दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में ब्रिक्‍स देशों के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सम्‍मेलन में NSA अजित डोभाल ने चीन के वांग यी से मुलाकात कर कड़ा संदेश दिया है। वांग यी चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी में सीनियर ऑफिशियल हैं और साथ ही साथ विदेश मामलों के लिए बने कमीशन के मुखिया भी हैं। चीन के पूर्व विदेश मंत्री रहे वांग को राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का करीबी माना जाता है। वांग के साथ मुलाकात में डोभाल ने उन्‍हें स्‍पष्‍ट कर दिया कि वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर जो स्थिति है उसकी वजह से आपसी भरोसा कम हुआ है। वांग ने भी डोभाल से दोनों देशों के बीच रिश्‍तों को स्थिर करने की बात कही। NSA डोभाल ने समस्या को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। ताकि द्विपक्षीय संबंधों में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके। भारत ने जोर देकर कहा कि जब तक एलएसी के लद्दाख सेक्टर में शांति बहाल नहीं हो जाती, तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते।

10 दिन पहले वांग से जयशंकर ने की थी मुलाकात

यह मीटिंग 14 जुलाई को जकार्ता में आसियान संगठन के विदेश मंत्रियों की मीटिंग से 10 दिन बाद हुई है। उस समय भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वांग से मुलाकात की थी। बता दें कि सीमा विवाद की वजह से भारत-चीन संबंध छह दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से डोभाल और वांग की मीटिंग पर जानकारी दी गई है। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्र और विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

आपसी भरोसे की नीतियां बनेः वांग

वांग यी के बयान का चीन के विदेश मंत्रालय ने भी रीडआउट जारी किया गया है। वांग यी ने कहा है कि ऐसी नीतियों को निर्धारित किया जाए जिससे आपसी भरोसे का निर्माण हो। दोनों पक्षों को दोनों राष्‍ट्राध्‍यक्षों की तरफ से लिए गए रणनीतिक निर्णय का पालन करना चाहिए। इसके तहत स्‍पष्‍ट किया गया था कि ‘चीन और भारत कोई खतरा नहीं हैं बल्कि विकास की दृष्टि से एक-दूसरे को आगे बढ़ाने का मौका देते हैं।

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