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यूक्रेन पर हमले का 44वां दिन, जंग में 131 बच्चों समेत 1611 की मौत,पढ़ें

अब रूस ने  इस बात को स्वीकार किया कि यूक्रेन के साथ जंग में उसके सैनिकों की भी मौत हुई है जिनकी संख्या काफी अधिक है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव  ने एक इंटरव्यू में इस बात को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के साथ जंग में  बड़ी संख्या में रूसी सैनिकों ने जान गंवाई।  

By RNI Hindi Desk 
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अब रूस ने  इस बात को स्वीकार किया कि यूक्रेन के साथ जंग में उसके सैनिकों की भी मौत हुई है जिनकी संख्या काफी अधिक है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव  ने एक इंटरव्यू में इस बात को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के साथ जंग में  बड़ी संख्या में रूसी सैनिकों ने जान गंवाई।

स्काई न्यूज को दिए गए अपने इंटरव्यू में क्रेमलिन प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने अनेक जवानों को खो दिया। यह हमारे लिए काफी बड़ा नुकसान है।’ युद्ध अपराध मामले को खत्म करने के लिए रूसी राष्ट्रपति के रुख को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने साफ कहा कि इसकी कोई संभावना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उठाए गए नवीनतम कदम में मानवाधिकार परिषद से रूस को सस्पेंड कर दिया गया है। यह फैसला संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में यूक्रेन पर मास्को के हमले के मद्देनजर लिया गया है।

UN आम सभा ने परिषद से रूस को 93-24 मतों से हटा दिया जिसमें 58 देशों ने वोट डाले ही नहीं। इस बीच यूरोपीयन यूनियन की ओर से यूक्रेन को 543 मिलियन डालर की सैन्य सहायता देने की पेशकश की गई है। यूरोपीयन कमिशन के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल ने गुरुवार को यह ऐलान किया। इस बीच कीव इंडिपेंडेंट ने शुक्रवार को बताया था की रूस के चंगुल से सूमी इलाके को पूरी तरह आजाद करा लिया गया। यहां के गर्वनर दमित्रो झिविट्स्की ने फेसबुक पर ऐलान किया था कि इलाका रूसी सैनिकों से आजाद हो गया है लेकिन उन्होंने जाने के समय जो एल्युमिनियम यहां छोड़ा था उसे हटाने के क्रम में विस्फोट की संभावना है।

अमेरिका की ओर से लाए गए प्रस्ताव को पारित करने के लिए 193 सदस्यीय महासभा (UNGA) में सपोर्ट में 93 वोट पड़े, जबकि भारत सहित 58 देश अनुपस्थित रहे। अनुपस्थित रहने वाले सदस्यों के वोट काउंट नहीं होते हैं। ‘मानवाधिकार परिषद में रूस की सदस्यता के निलंबन अधिकार’ शीर्षक वाले प्रस्ताव के खिलाफ 24 मत पड़े। मतदान से अनुपस्थित रहने वाले देशों में बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, पकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हैं।

रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से निलंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में आए प्रस्ताव को उपस्थित सदस्य देशों के दो तिहाई वोटों की जरूरत थी। मतदान में भाग लेने के बाद भारत ने तर्कसंगत और प्रक्रिया सम्मत कारणों का हवाला दिया। भारत का यह रुख महत्वपूर्ण है क्योंकि वैश्विक संगठन के तमाम सदस्य देश इस बात को लेकर असहज हैं कि उल्लंघनों की जांच पूरी होने का इंतजार किए बगैर रूस को सस्पेंड करने का प्रस्ताव आया।

जेलेंस्‍की ने कहा कि वह रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन से सीधी बातचीत करना चाहते हैं और उनकी कोई पूर्व शर्त नहीं है। उन्‍होंने नाम लेकर कहा कि वह सुरक्षा गारंटर के रूप में भारत का स्‍वागत करेंगे। इस बीच फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों यूक्रेन की इस गुहार पर सुरक्षा गारंटर बनने के लिए तैयार हो गए हैं। दरअसल, यूक्रेन चाहता है कि रूस के तनाव के दौरान सुरक्षा गारंटर के रूप में दुनिया के कई देशों का समूह खड़ा हो जो यह वादा करे कि अगर यूक्रेन पर फिर से हमला होता है तो वे उसकी बचाव में मदद करेंगे। जेलेंस्‍की की मुख्‍य कोशिश नाटो देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, फ्रांस और जर्मनी को यूक्रेन का सुरक्षा गारंटर बनाना है। इससे पहले तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान ने कहा था कि वह यूक्रेन का सुरक्षा गारंटर बनने को तैयार हैं। हालांकि चीन इससे क‍िनारा काट रहा है।

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