श्रद्धा कपूर ने अपने अभिनय करियर की शुरूआत फिल्म 'तीन पत्ती' से की थी। फिल्म तो ज्यादा नहीं चली लेकिन श्रद्धा के अभिनय को सराहा गया और उन्हें नवोदित अभिनेत्री के तौर पर फिल्मफेयर अवार्ड के लिए भी नामांकित किया गया।
श्रद्धा कपूर ने अपने अभिनय करियर की शुरूआत फिल्म ‘तीन पत्ती’ से की थी। फिल्म तो ज्यादा नहीं चली लेकिन श्रद्धा के अभिनय को सराहा गया और उन्हें नवोदित अभिनेत्री के तौर पर फिल्मफेयर अवार्ड के लिए भी नामांकित किया गया।
इसके बाद वे फिल्म ‘लव का दि एंड’ में दिखाई दीं लेकिन फिल्म ‘आशिकी2’ ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में असली पहचान दिलाई और फिल्म को हर तरफ से सराहा गया। इसके बाद तो उनके करियर में सब कुछ अच्छा ही होता गया और उन्होंने एक विलन, हैदर, एबीसीडी 2, बागी, अ फ्लाइंग जेट, हाफ गर्लफ्रैंड, और स्त्री जैसी कई हिट फिल्में की हैं।
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वही, 2 अप्रैल को नवरात्रि के साथ गुड़ी पड़वा, रमजान, उगादी और नवरेह समेत कई त्योहार मनाए जा रहे हैं। गुड़ी पड़वा खासकर महाराष्ट्र में मनाया जाता है। इसे महाराष्ट्रीयन नव वर्ष के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
इस साल एक्ट्रेस श्रद्धा कपूर ‘मराठी मुल्गी’ बन ट्रेडिशनल तरीके से गुड़ी पड़वा मना रही है। जिसकी कुछ तस्वीरें उन्होनें सोशल मीडिया पर भी शेयर की हैं। श्रद्धा कपूर के पिता शक्ति कपूर पंजाबी हैं, वहीं उनकी मां शिवांगी महाराष्ट्रियन हैं, और इस वजह से वह सारे फेस्टिवल सेलिब्रेट करती बड़ी हुई हैं।
श्रद्धा ने अपने इंस्टाग्राम पर दो तस्वीरे शेयर की हैं, जिनमें वह येलो और ब्लू कलर की नौवारी साड़ी पहने नजर आ रही हैं। नौवारी साड़ी के साथ श्रद्धा ने गोल्डेन ज्वैलरी और मैचिंग चूड़िया कैरी की हैं और महाराष्ट्रियन लुक में बेहद प्यारी नजर आ रही हैं
एक्ट्रेस ने गुड़ी पाड़वा को कहा कि “यह पहली बार है जब मैंने नथ और चंद्राकोर बिंदी के साथ नौवारी साड़ी पहनी है, और यह एक बहुत ही खास एहसास है। नौवारी साड़ियों का एक बहुत ही भव्य और प्रसिद्ध इतिहास है। यह सिर्फ एक सौंदर्य पोशाक नहीं है।
नौवारी शक्ति और ताकत का प्रतीक है। यह महिलाओं द्वारा उन दिनों में युद्ध में लड़ने के लिए भी पहनी जाती था, क्योंकि यह गतिशीलता और चलने-फिरने में आरामदायक होती हैं नौवारी के नाम से मशहूर इस महाराष्ट्रीयन स्टाइल की साड़ी को काष्ठ, सकच्छ और लुगड़ा के नाम से भी जाना जाता है। नौवारी नाम साड़ी की लंबाई से लिया गया है, जो नौ गज है।
इस साड़ी की जड़े युद्ध से भी हैं। बीते समय में जब मराठा महिलाओं ने पुरुषों के साथ लड़ाई लड़ी थी तो उन्हें एक ऐसे परिधान की आवश्यकता महसूस हुई जो उन्हें चलने-फिरने और दौड़ने में मदद करें। नौवारी, पुरुषों द्वारा पहनी जाने वाली धोती की तरह ही होती है।