निर्भया केस मामले में चारों दोषियों के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट जारी कर दिया है। अब दोषी फांसी के फंदे के काफी नजदीक पहुंच चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद उनके पास कुछ कानूनी विकल्प अभी भी बचे हुए हैं। यदी दोषी इनका इस्तेमाल नहीं करते हैं तो 22 जनवरी की सुबह इन्हें फांसी दे दी जाएगी। लेकिन अगर वे राष्ट्रपति के पास मर्सी पिटिशन दाखिल करते हैं तो फिर इसके निपटारे तक डेथ वारंट होल्ड पर चला जाएगा।
लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि डेथ वारंट जारी होने के बाद मर्सी पिटिशन और रिट का अधिकार है। डेथ वारंट जारी होने के बाद मुजरिम चाहे तो राष्ट्रपति के पास मर्सी पिटिशन दाखिल कर सकता है। लेकिन इस मामले में सभी मुजरिमों ने अभी तक मर्सी पिटिशन दाखिल नहीं किया है लिहाजा वह चाहे तो इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकता है। मर्सी पिटिशन दाखिल करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है। इस मामले में अब क्यूरेटिव पिटिशन का रास्ता बंद है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के रूल और ऑर्डर के तहत इस तरह का प्रावधान है कि क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के दौरान यह बताना होता है कि उनके ग्राउंड को रिव्यू पिटिशन पर विचार के दौरान नहीं देखा गया। ऐसे में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की जाती है हालांकि मौजूदा मामले में रिव्यू पिटिशन ओपन कोर्ट में सुना गया और फिर खारिज हो चुका है।
दूसरी तरफ दोषियों के वकील का कहना है कि वे सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करेंगे। साथ ही कोई भी मुजरिम मानवाधिकार के नाम पर कभी भी रिट दाखिल कर सकता है लेकिन अब कोर्ट में केस की मेरिट पर कोई अर्जी दाखिल नहीं हो सकती है।
मर्सी पिटिशन दाखिल करने के लिए न तो समय सीमा है और न ही राष्ट्रपति के सामने उसके निपटारे की कोई समय सीमा है। मौजूदा मामले में डेथ वॉरंट जारी हो चुका है, ऐसे में अगर मुजरिमों ने दया याचिका दायर नहीं की तो उन्हें फांसी पर चढ़ाया जाना तय है।