केंद्र सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को 10 ट्रेड यूनियन्स और 25 करोड़ लोग भारत बंद में शामिल होंगे। केंद्रीय श्रममंत्री से मुलाकात करने के बाद यूनियनों ने कहा कि वे केंद्र सरकार की श्रम नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को भारत बंद का निर्णय लिया है और उसपर कायम हैं।
इस हड़ताल में INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC के साथ- साथ कई अन्य असोसिएशन्स हिस्सा लेंगी। इन यूनियन के लोगों ने पिछले सितंबर में देशव्यापी हड़ताल का निर्णय लिया था, जिसमें कई ऐंटी वर्कर, ऐंटी पीपल और ऐंटी नैशनल पॉलिसीज को वापस करने की मांग की थी।
इस बंद का वामदलों और कई के बैंक कर्मचारी संगठनों नें भी समर्थन किया है। इसके अलावा, 60 स्टूडेंट यूनियनों और यूनिवर्सिटीज के अधिकारियों ने भी हड़ताल का हिस्सा बनने का ऐलान किया है। वहीं शिक्षा संस्थानों में फीस की बढ़ोतरी के कमर्शलाइजेशन का भी विरोध करेंगे। इन ट्रेड यूनियनों ने जेएनयू और दूसरे विश्वविद्यालयों में हो रही घटनाओं की निंदा की है और छात्रों को सहयोग देने का फैसला किया है।
आपको बता दें कि, ट्रेड यूनियनें इस बात से भी नाराज है कि जुलाई 2015 से अबतक कोई इंडियन लेबर कॉन्फ्रेंस आयोजित नहीं हुई है। इसके अलावा रेलवे और कई PSU का निजीकरण भी ट्रेड यूनियनों की नाराजगी का कारण है। बैंकों का मर्जर और डिफेंस प्रॉडक्शन इकाइयों का कॉर्पोरेटाइजेशन भी ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर श्रमिक संगठन नाराज है।
ऐसे में 8 जनवरी को अगर भारत बंद हुआ तो कामकाज काफी प्रभावित होगा। लेकिन 9 जनवरी को बैंक खुले रहेंगे। लेकिन एटीएम तक कैश नहीं पहुंच पाने के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।