विधानसभा चुनाव के नतीजे आने बाद मायावती ने मीडिया को संबोधित किया और चुनाव के दौरान अपनी पार्टी को हुए नुकसान के कारण भी बताए। मायावती ने बहुजन समाज पार्टी के वोट खिसकने के साथ ही वोट का प्रतिशत कम होने पर कहा कि इस बार मुस्लिम समाज बसपा के साथ तो लगा रहा परन्तु इनका पूरा वोट समाजवादी पार्टी की तरफ शिफ्ट कर गया।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने बाद मायावती ने मीडिया को संबोधित किया और चुनाव के दौरान अपनी पार्टी को हुए नुकसान के कारण भी बताए। मायावती ने बहुजन समाज पार्टी के वोट खिसकने के साथ ही वोट का प्रतिशत कम होने पर कहा कि इस बार मुस्लिम समाज बसपा के साथ तो लगा रहा परन्तु इनका पूरा वोट समाजवादी पार्टी की तरफ शिफ्ट कर गया। इससे इस बार बसपा को भारी नुकसान हुआ है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि मुस्लिम समाज ने उत्तर प्रदेश में बार-बार आजमाई पार्टी बसपा से ज्यादा सपा पर भरोसा करने की बड़ी भारी भूल की है।
बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि पार्टी और मूवमेंट को फिर आगे बढ़ाना है। असहाय, गरीबों की भलाई के काम करना है। बहुजन समाज पार्टी संघर्ष करती रहेगी, इस बार उम्मीदों के खिलाफ नतीजे आए हैं। बसपा संघर्ष करती रहेगी हमें हिम्मत नहीं हारनी है।
भाजपा की जीत पर बसपा सुप्रीमो ने कहा कि 2017 से भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं थी। इस बार के चुनाव परिणाम एक सबक है। बसपा का कर्म पर भरोसा है, यह चुनाव परिणाम आगे के लिए सबक हैं। मायावती ने कहा कि हमको चुनाव में हार से घबराना नहीं है। हर बार की तरह ही इस बार भी बसपा के बारे में गलत प्रचार हुआ था।
आगे कहा, सपा ने तो हमें भाजपा की बी टीम बताया था। मायावती ने कहा कि यह तो सत्य है, अगर मुस्लिम-दलित वोट मिल जाता तो भाजपा हमसे हार जाती। उन्होंने कहा कि मुस्लिम-दलित वोट मिलते तो परिणाम अलग आए होते। हमको भरोसा है कि सफलता एक दिन हमारे कदम चूमेगी। बसपा ही भाजपा को रोकेगी। बसपा को मेहनत का फल नहीं मिला हम संघर्ष कर रहे हैं, संघर्ष रंग लाएगा। मायावती ने इसके साथ ही जनता, कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों का आभार जताया।
उत्तर प्रदेश में इस बार भाजपा की ऐसी आंधी चली कि मायावती की बहुजन समाज पार्टी पूरी तरीके से ध्वस्त हो गयी। बसपा सिर्फ एक सीट पर सिमट कर रह गई। बहुजन समाज पार्टी के मजबूत नेता उमाशंकर सिंह ने बलिया के रसड़ा से अपनी जीत की हैट्रिक लगाई।
पार्टी के धुरंधर नेता भी हार नहीं बचा सके। श्याम सुंदर शर्मा ने 2017 में मोदी लहर में जीत दर्ज की थी, इस बार मथुरा के मांट से चुनाव हार गए। बसपा पूरे प्रदेश में सिर्फ एक सीट पर ही समट गई। मायावती ने इस बार सभी 403 सीटों पर अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारे थे। भाजपा की आंधी कुछ ऐसी चली कि बसपा कहां उड़ गई, किसी को भी अहसास नही हैं।
2017 के नतीजों से तुलना करें तो ये चुनावी नतीजे मायावती की पार्टी के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे है। 2017 में पार्टी ने जहां 19 सीटों पर जीत हासिल की थी तो वहीं बसपा को 22.3 फीसदी वोट शेयर मिले थे, लेकिन इस बार पार्टी को बड़ा झटका लगा है। इससे पहले 2007 में बसपा ने 206 सीटे जीतकर सरकार बनाई थी। जबकि 2012 में बसपा के खाते में 80 सीटें आई थी। अब वो पार्टी 2022 में 1 से 2 सीटों पर सिमट गई है। साल दर साल पार्टी की सीटें कम होने के साथ-साथ मायावती की पार्टी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।