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Jagdambika Pal: यूपी का वह CM जिसकी कुछ घंटे ही चली सरकार, ‘एक दिन के चमत्कार’ का जानें दिलचस्प किस्सा

जगदम्बिका पाल उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे। वह भारतीय जनता पार्टी के एक नेता हैं। वर्तमान समय में वह लोकसभा के सदस्य हैं। लोकसभा डुमरियागंज के सांसद प्रत्याशी भी हैं।

By RNI Hindi Desk 
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जगदंबिका पाल उत्तर प्रदेश के एक बहुचर्चित भारतीय राजनेता हैं जिन्होंने 15 वें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और 2014 में भाजपा में शामिल हो गए।इसके बाद 2014 में, वह उत्तर प्रदेश के डोमरियागंज सीट से 16 वीं लोकसभा चुनाव में निर्वाचित हुए। इन्होंने1993-2007 तक लगातार तीन बार बस्ती निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। उन्होंने 1998 में 3 दिनों के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया जब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया। बाद में अदालतों के आदेश के बाद इसे जारी कर दिया गया। पेशे से वकील होने के साथ ही जगदम्बिका पाल ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान, प्राचीन और आधुनिक इतिहास में एम ए और गोरखपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी किया है।

राजनीतिक रूप से देश में सबसे अहम सूबा उत्तर प्रदेश है। कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता लखनऊ से होकर ही गुजरता है। 403 विधानसभा सीटों वाला यह प्रदेश जितना विशाल है, उसकी राजनीति उससे भी कहीं अधिक घुमावदार। इसके किस्से तो और भी मजेदार। इनमें से एक किस्सा तो ऐसा भी है जिसे ‘वन डे वंडर’ यानी ‘एक दिन का चमत्कार’ भी कहा जाता है। यह चमत्कार था अचानक एक मंत्री के मुख्यमंत्री बनने का और फिर कुछ ही घंटों के अंदर सत्ता छोड़ने पर मजबूर होने का। यूपी में कुछ ही घंटों के लिए मुख्यमंत्री बनने का अनचाहा रिकॉर्ड जगदंबिका पाल के नाम है। आइए आपको बताते हैं पूरा किस्सा।

यह घटना दो दशक से भी ज्यादा पुरानी है। 21 फरवरी 1998 को हल्की सर्दी वाली रात अचानक लखनऊ में जो घटनाक्रम हुआ, उसने पूरे उत्तर प्रदेश की सियासत में भूकंप ला दिया। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी और सीएम थे कल्याण सिंह। उस दिन अचानक राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को उनके पद से हटा दिया और उनकी सरकार में कैबिनेट मंत्री जगदंबिका पाल को रात करीब 10:30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी।

 वाजपेयी  को भी धरने पर बैठना पड़ा

राज्यपाल के इस फैसले पर उत्तर प्रदेश की सियासत में मानों भूकंप सा ला दिया। लखनऊ के राजभवन से लेकर सीएम हाउस तक पत्रकारों की भीड़ थी तो सड़कों पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े नेताओं तक की हलचल बढ़ गई। खुद बीजेपी के सबसे बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी धरने पर बैठ गए।

कैसे गई कुर्सी?

रात में ही हाई कोर्ट का दरवाजा घटघटाया गया। सुबह जब सुनवाई हुई तो हाई कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने एक बार फिर कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाने का आदेश दिया। पल-पल बदलते घटनाक्रम के बीच कल्याण सिंह सचिवालय पहुंच गए, जहां जगदंबिका पाल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे। कोर्ट के आदेश के मुताबिक जगदंबिका पाल को पद के साथ कुर्सी भी खाली करनी पड़ी। कल्याण सिंह को 26 फरवरी को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा गया, जिसमें वह कामयाब रहे।

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