हमारे सनातन धर्म में हर शुभ कार्य का एक विशेष लग्न और मुहूर्त होता है जिसके आधार पर ही कोई मांगलिक कार्य संपन्न किये जाते है, चाहे गृह प्रवेश हो या किसी जातक का मुंडन संस्कार, हमारे यहां हमेशा ग्रहो का बल ही विचारणीय होता है।
हिंदू पंचांग के मुताबिक शरद ऋतु में एक महीने का वक्त ऐसा होता है जब मांगलिक कार्यो पर रोक लगा दी जाती है और उसका कारण है बृहस्पति का अस्त होना, दरअसल गुरु और शुक्र ये दो ग्रह ऐसे है जिनका बल हर शुभ कार्य में विचारणीय होता है और हमारे धर्म में जब ये अस्त हो जाते है तो शुभ कार्यो पर रोक लग जाती है।
दरअसल 16 दिसम्बर को सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे, सूर्य देव हर महीने 1 राशि में परिभ्रमण करते है , वही इस वक़्त धनु राशि में खुद बृहस्पति भी है तो ऐसे में सूर्य के समीप आते ही 14 दिसंबर 2019, दिन शनिवार को गुरु का तारा अस्त होगा, जो 9 जनवरी 2020, दिन गुरुवार को उदित होगा।
गुरु के अस्त होने का अर्थ यह हुआ की इस अवधि तक कोई भी मांगलिक कार्य यानी विवाह, नवीन कार्य या गृह प्रवेश जैसे कार्य वर्जित हो जायेगे।
वही मांगलिक कार्यो पर रोक का एक सम्बन्ध सूर्य और गुरु से भी है, दरअसल ग्रहो के मंत्रिमंडल में सूर्य राजा है और बृहस्पति उनके गुरु है तो जब भी सूर्य धनु और मीन राशि में संचरण करता है वो अपने प्रभाव को छिपा लेता है और गुरु को साष्टांग नमन कर प्रभाव खत्म कर देता है।
वैदिक ज्योतिष में सूर्य ऊर्जा का कारक है तो ऊर्जा का गृह प्रभावहीन होने के कारण उन 30 दिनों में जो की साल में 2 बार आते है सारे मांगलिक कार्य रोक दिए जाते है। बताते चले की 14 जनवरी को सूर्य जैसे ही अपने पुत्र शनि की राशि मकर में आएगा खरमास खत्म हो जायेगा।