वैदिक ज्योतिष में शनि महत्वपूर्ण ग्रह है, शनि एक राशि में पुरे ढाई वर्ष तक रहता है जो की ज्योतिष में किसी भी ग्रह के एक राशि में विचरण करने की सबसे अधिक अवधि है जिसके कारण शनि के गोचर का मानव जीवन पर व्यापक रूप से असर होता है।
साल के शुरुआत में ही ग्रहों के न्यायाधीश माने जाने वाले शनि अपनी स्थिति से बदलने वाले हैं। शनि 24 जनवरी को धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करेंगे। मकर शनि की स्वयं की राशि है। शनि के खुद की राशि में गोचर होने से शनि की स्थिति मजबूत हो जाएगी, काल पुरुष की कुंडली में मकर राशि दसवें स्थान को रिप्रेजेंट करती है जो की कर्म भाव है।
वैदिक ज्योतिष में किसी भी ग्रह के गोचर फल को जानने का नियम निर्धारण ” पाया ” है, दरअसल आपकी जन्म राशि से शनि लग्न से लेकर बारहवें स्थान में से किसी एक भाव में गोचर करेगा तो उसी आधार पर शनि के पाये और उसके फल का निर्धारण होता है.
पाये चार प्रकार के है, स्वर्ण फिर रजत फिर ताम्र और अंत में लौह वही इनमें स्वर्ण मूर्ति सबसे अधिक शुभ होती है और घटते हुए क्रम के अनुसार लोह मूर्ति सबसे कम शुभ मानी जाती है तो आइये इस लेख में जानते है की आपकी राशि से शनि का गोचर आपके लिए कैसा होगा ?
जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 1, 6, 11 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये स्वर्ण के माने जाते है, तो सिंह, मकर और मीन राशि के लोगों पर शनि का स्वर्ण पाया का असर रहेगा जिसके कारण इन राशि के जातको को कई प्रकार के सुख मिलने की संभावनाएं बनेगी और मेहनत का परिणाम मिलेगा।
जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 2, 5, 9 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाद रजत के माने जाते है ,साल 2020 में वृष, कन्या और धनु राशियों पर शनि के रजत पाये का असर देखने को मिलेगा जिसके कारण जातक को जीवन में आगे बढ़ने के अच्छे अवसर प्रदान होंगे।
जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 3, 7, 10 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये ताम्र के माने जाते है, साल 2020 में मेष, कर्क और वृश्चिक राशि पर यह पाया रहेगा जिसके कारण शनि गोचर की यह अवधि व्यक्ति को मिले- जुले फल देती है, कुछ मामलो में असफलता भी मिलती है जिसके कारण मानसिक तनाव होता है।
जब शनि गोचर में किसी व्यक्ति की जन्म राशि से 4, 8, 12 भाव में भ्रमण करते है तो शनि के पाये लोह के माने जाते है, साल 2020 से मिथुन, तुला और कुंभ राशियों पर शनि का लौह पाया रहेगा जिसके कारण यह जातक को परेशानियां और समस्याएं देगा और परिश्रम का फल मिलने की संभावनाएं कम होती है।