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शनि गोचर 2020 – जानिये आपकी राशि पर क्या होगा प्रभाव

By RNI Hindi Desk 
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वैदिक ज्योतिष में शनि 9 ग्रहो में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है क्यूंकि शनि एक कर्म प्रधान ग्रह है वही काल पुरुष की कुंडली में शनि दसवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी है, शनि की सामान्य राशि मकर दसवें भाव का वही शनि की मूल त्रिकोण राशि ग्यारहवें भाव को दर्शाती है जो की कर्म और लाभ स्थान कहे जाते है।

ज्योतिष ने शनि को आठवें भाव का कारक माना गया है जिसे मृत्यु का भाव कहा जाता है, शनि ज्योतिष में सबसे धीमा ग्रह है और यह मनुष्य के जीवन में न्याय का कारक है. शनि 24 जनवरी को अपनी राशि मकर में प्रवेश करेगा जो की उसकी अपनी राशि है तो आइये जानते है आपकी राशि पर इस गोचर का क्या इफ़ेक्ट रहेगा।

मेष राशि –

मेष राशि के जातकों के लिये शनि का गोचर दशम भाव से होगा जिसे कर्म भाव की संज्ञा दी गयी है, ज्योतिष में इस स्थान से मनुष्य के कार्य स्थल और पिता का विचार किया जाता है। दशम भाव में विराजमान शनि देव अपनी तीसरी दृष्टि से बारहवें स्थान को, सप्तम दृष्टि से चतुर्थ स्थान को और दशम दृष्टि से सप्तम स्थान को देखेंगे।

शनि के इस गोचर से मेष राशि वालो के लिये अगले ढाई साल बेहतरीन रहने वाले है, आपके रोज़गार में वृद्धि होगी वही उन्नति के नये रास्ते खुलेंगे, पिता से मतभेद ना करे वही फालतू बयानबाजी से बचे, आपको कई ऐसी यात्राओं पर जाना पड़ सकता है जहां आपका मन नहीं हो लेकिन ये आपके लिए कल्याणकारी होगी।

चौथे स्थान पर प्रभाव रहेगा जिसके कारण घर में कोई मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है, माता की सेहत में सुधार होगा वही साझेदारी में कोई नया काम शुरू कर सकते है, पत्नी से तनाव की आशंका बन रही है इसलिए वाद विवाद ना करे।

वृष राशि –

इस राशि के जातको के लिये शनि भाग्य और दशम स्थान के स्वामी होते है तो उनका गोचर 2020 में भाग्य स्थान में ही होगा, भाग्य स्थान में ज्योतिष में धर्म और आस्था का विचार किया जाता है, नवम में बैठा शनि अपनी तीसरी दृष्टि से लाभ स्थान को, सप्तम दृष्टि से तीसरे यानी पराक्रम स्थान को और दशम दृष्टि से छटे भाव को देखेंगे।

शनि के इस गोचर के कारण सबसे पहले तो आपकी ढैया खत्म होगी जिसके प्रभाव से भाग्य में वृद्धि होगी और धर्म में आस्था बढ़ेगी, ऐसे कई कार्य है जो आप सालो से सोच रहे थे वो अब पुरे होंगे, कोई पुरानी बीमारी खत्म हो सकती है वही कोई नए प्रोजेक्ट के सिलसिले में की गयी यात्राएं सफल होगी।

तीसरे स्थान पर प्रभाव के कारण पराक्रम में वृद्धि होगी और पड़ोसियों से सम्बन्ध मधुर होंगे, मन में एक अनजाना भय बना रह सकता है इसलिए नकारात्मकता से बचे, दशम दृष्टि छटे स्थान पर आ रही है जो की शनि की उच्च राशि है जिसके कारण आपके शत्रु परास्त होंगे। नौकरी में उन्नति का योग है वही आपके कर्मचारियों के बर्ताव भी आपके अनुकूल रहेगा।

मिथुन राशि –

मिथुन राशि के जातको के लिये शनि का गोचर आठवे स्थान से होने वाला है जिसे की ज्योतिष में असामयिक घटना, दुर्घटना और गुप्त विद्याओ का स्थान माना गया है, शनि के इस गोचर से मिथुन राशि के जातको की ढैया भी शुरू होने वाली है।

अष्ठम स्थान में विराजमान शनि देव अपनी तीसरी दृष्टि से दशम स्थान को जो की कर्म भाव है वही सप्तम दृष्टि से धन भाव को वही दशम दृष्टि से पंचम भाव को देखेंगे जिससे संतान और प्रेम का विचार किया जाता है।

शनि के इस गोचर के कारण भाग दौड़ रहेगी और आपके साथ अचानक कोई दुर्घटना हो सकती है, नेगेटिविटी हावी रहेगी, आपको अपनी पत्नी से वाद विवाद नहीं करने की सलाह दी जाती है, आपके पीछे आपके खिलाफ कोई साजिश कर सकता है. आय और व्यय का संतुलन बनाकर रखे। पंचम पर उच्च दृष्टि के कारण संतान तरक्की और उन्नति करेगी।

कर्क राशि –

कर्क राशि के जातकों के लिये शनि का गोचर साल 2020 में सप्तम भाव से होगा जिससे की ज्योतिष में विवाह, जीवनसाथी और साझेदारी का विचार किया जाता है, शनि सप्तम में विराजमान होकर तीसरी दृष्टि से भाग्य स्थान को, सप्तम दृष्टि से लग्न को वही अपनी दशम दृष्टि से चौथे भाव को प्रभावित करेंगे।

इस गोचर के फलस्वरूप आपको विवाह का प्रस्ताव आ सकता है, अथवा कोई नवीन कार्य का आरभ भी हो सकता है। शनि एक पाप ग्रह है इसलिए जो भी साझेदारी करे वो सोच समझकर करे वरना हानि हो सकती है। लग्न पर प्रभाव के कारण भाग दौड़ बनी रहेगी और मानसिक तनाव हो सकता है, राहु के बारहवे भाव में होने से बेवजह की यात्राएं करनी पड़ सकती है।

उच्च की दृष्टि चौथे स्थान पर जा रही है जिसके कारण घर में कोई मांगलिक उत्सव का आयोजन हो सकता है और माता के स्वास्थ्य में भी सुधार की सम्भावना है, कोई पुराना घर बेचना चाह रहे है तो समय अनुकूल है, साज सज्जा पर धन खर्च होगा।

सिंह राशि –

सिंह राशि के जातको के लिए शनि का गोचर छटे भाव में होगा जिसे की वैदिक ज्योतिष में रोग, ऋण और शत्रु का भाव माना जाता है। शनि के इस भाव में गोचर का फलस्वरूप उनकी तीसरी दृष्टि आठवे भाव पर, सप्तम दृष्टि बारहवें भाव पर और दशम दृष्टि तीसरे स्थान पर रहेगी।

शनि के इस गोचर के कारण कोई कोर्ट कचहरी में अगर मुकदमा चल रहा था तो वो सुलझने के आसार है, तीन महीने के लिए गुरु भी शनि के साथ आ जायेगे जिसके कारण आपको थोड़ा सा तनाव हो सकता है क्यूंकि मकर गुरु की नीच राशि है, वही अष्टम पर प्रभाव के कारण तंत्र मन्त्र में आपकी रूचि बढ़ेगी।

तीसरे भाव में शनि की उच्च की दृष्टि होगी वही राहु भी लाभ स्थान में बैठकर उस भाव को देखेंगे जिसके कारण अचानक से लाभ बन रहा है हालांकि भाइयों और बहनो से मतभेद का संकेत यह गोचर दे रहा है।

कन्या राशि –

कन्या राशि के जातको के लिये शनि का गोचर पंचम स्थान में हो रहा है जिससे ज्योतिष में संतान, प्रेम, शेयर मार्केट और शिक्षा का विचार किया जाता है। इस गोचर में शनि की तीसरी दृष्टि सप्तम स्थान पर, सप्तम दृष्टि लाभ स्थान पर वही दशम दृष्टि धन स्थान पर जा रही है.

इस गोचर के कारण कन्या राशि में चल रही शनि की ढैया समाप्त होगी वही गुरु का गोचर चौथे स्थान में रहेगा जिसके कारण किसी नए कार्य की रुपरेखा तैयार हो सकती है, वही सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे जातको को सफलता प्राप्त होगी।

गुरु का दशम पर प्रभाव और शनि का लाभ स्थान पर प्रभाव आपका नौकरी में पदोन्नति का योग बना रहा है, इस गोचर में आप ऊर्जा और उत्साह से परिपूर्ण रहेंगे, उच्च दृष्टि धन स्थान पर जा रही है तो संचित धन में वृद्धि होगी वही परिवार में संतान आगमन का योग है।

तुला राशि –

तुला राशि के जातको के लिये शनि का गोचर चौथे स्थान में हो रहा है जिसे ज्योतिष में परिवार सुख, भूमि, भवन, वाहन, मानसिक विचारधारा और माँ का विचार किया जाता है, इस गोचर के कारण तुला राशि के जातको की ढैया भी शुरू हो रही है। यहाँ बैठे शनि देव अपनी तीसरी दृष्टि से छटे स्थान को, सप्तम दृष्टि से दशम भाव को वही दशम दृष्टि से लग्न को देखेगा।

चौथे भाव में शनि का गोचर आपको परेशान कर सकता है, मासनिक तनाव बढ़ने की आशंका है वही माता के स्वास्थ्य में हानि का संकेत यह गोचर दे रहा है। दशम भाव पर दृष्टि जा रही है जिसके कारण आपको कार्य स्थल पर सम्मानित किया जा सकता है हालांकि भागदौड़ ज्यादा करनी पड़ सकती है।

उच्च की दृष्टि लग्न स्थान पर आ रही है जिसके कारण आपके व्यक्तित्व में वृद्धि होगी और आपका आत्मविश्वास इस गोचर के दौरान बना रहेगा।

वृश्चिक राशि –

इस राशि के जातको के लिए शनि का गोचर तीसरे भाव में हो रहा है जिससे ज्योतिष में छोटी यात्राएं ,भाई बहन, पड़ोसी और जातक के पराक्रम का विचार किया जाता है, शनि के मकर में आ जाने से इस राशि के जातको की ढैया खत्म होने वाली है वही तीसरे स्थान में बैठे शनिदेव अपनी तीसरी दृष्टि से पंचम स्थान को, सप्तम दृष्टि से भाग्य स्थान को वही दशम दृष्टि से बारहवें स्थान को देख रहे है।

इस गोचर के परिणाम से आपको छोटी मोटी यात्राओं पर जाना पड़ सकता है, आरम्भ में राहु का गोचर अष्ठम भाव में है जिसके कारण अकस्मात कोई चोट लग सकती है वही निवेश किये गए धन में नुकसान उठाना पड़ सकता है, पंचम पर आ रही दृष्टि प्रेम सम्बन्धो में खटास का संकेत दे रही है, इस दौरान शेयर मार्किट में निवेश ना करे यही बेहतर है।

भाग्य पर शनि का प्रभाव रहेगा जिसके कारण आपकी रूचि आध्यात्म में बढ़ेगी और किसी धार्मिक आयोजन में शामिल होने का अवसर भी प्राप्त होगा, उच्च की दृष्टि का प्रभाव 12 वे भाव पर होने के कारण विदेश जाने की इच्छा भी आपकी पूरी हो सकती है।

धनु राशि –

धनु राशि के जातको के लिये शनि का गोचर धन स्थान यानी दूसरे भाव में हो रहा है, वैदिक ज्योतिष में दूसरे भाव से वाणी, चेहरा, संचित धन और कुटुंब का विचार किया जाता है, धन में शनि का गोचर का अर्थ है की आप साढ़े साती के अंतिम चरण में है वही यहां विराजमान शनि अपनी तीसरी दृष्टि से चौथे, सप्तम दृष्टि से आठवें और दशम दृष्टि से लाभ स्थान को देखेंगे।

धनु राशि के जातको के वर्ष आरम्भ में राहु के सप्तम में और शनि के दूसरे भाव में गोचर के कारण पारिवारिक जीवन में मनमुटाव का संकेत मिल रहा है। शनि के दूसरे भाव में गोचर के कारण आपको धन के मामलो में दूसरों पर आश्रित रहना पड़ सकता है।

अष्टम पर प्रभाव के कारण ससुराल से धन की प्राप्ति है वही उच्च की दृष्टि लाभ स्थान पर होगी जिसके कारण आपको सोच समझ कर निर्णय लेने होंगे और धन का निवेश सोच समझकर करना होगा।

मकर राशि –

मकर राशि के जातको के लिये शनि का गोचर लग्न से ही होगा, लग्न ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण स्थान है जिसे की सबसे बलवान माना जाता है, लग्न में बैठा ग्रह अथवा तो गोचर कर रहा ग्रह जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है।

लग्न में बैठा शनि साढ़े साती के दूसरे चरण की शुरुआत करेगा, शनि की दृष्टि तीसरे, सातवे और दशवें स्थान पर रहेगी, मार्च के दौरान गुरु भी शनि के साथ होंगे जिसके कारण नीच भंग राजयोग का निर्माण होगा, इस दौरान आपका स्वास्थ्य बेहतर होगा, मान सम्मान बढ़ेगा लेकिन आपको अपने शत्रुओ से सावधान रहने की आवश्यकता है।

सप्तम भाव पर दृष्टि के कारण पत्नी से मन मुटाव के संकेत नज़र आ रहे है, साझेदारी में कोई भी काम शुरू नहीं करे वही इस दौरान ऑफिस में आपके कार्य की तारीफ़ होगी वही नए प्रोजेक्ट मिलने की सम्भावना बन रही है।

कुम्भ राशि –

कुम्भ राशि के जातको के लिये शनि का गोचर बारहवें स्थान से हो रहा है जिसे की वैदिक ज्योतिष में विदेश यात्राओं और व्यय भाव का कारक माना गया है , इसी गोचर से कुम्भ राशि के जातको की साढ़े साती भी शुरू हो रही है।

व्यय भाव में बैठे शनिदेव अपनी तीसरी दृष्टि से दूसरे भाव को, सप्तम दृष्टि से छटे भाव को वही दशम दृष्टि से भाग्य स्थान को देखेंगे, इस गोचर के कारण आपको अधिक भाग दौड़ करनी होगी और थोड़ा सा धन खर्च की अधिकता बनी रहेगी और अनचाही यात्राओं पर जाने का योग बनेगा।

गुरु और शनि की युति मार्च में होने से आय व्यय का संतुलन बिगड़ सकता है, धन पर दृष्टि से परिवार जनों से मतभेद वही छटे भाव पर दृष्टि के कारण शत्रु से सावधान रहे वही उच्च की दृष्टि भाग्य स्थान पर होने के कारण धार्मिक आस्था बढ़ेगी और साधु संतो का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

मीन राशि –

मीन राशि के जातको के लिये शनि का गोचर उनके ग्यारहवे स्थान यानी लाभ भाव से हो रहा है वही वर्तमान में गुरु का गोचर भी दशम भाव में हो रहा है और राहु चौथे में है। लाभ स्थान में बैठे शनि की तीसरी दृष्टि लग्न पर, सप्तम दृष्टि पंचम पर वही उच्च की दशम दृष्टि अष्टम भाव पर है।

शनि के इस गोचर का काल आपके लिए शानदार रहने वाला है, लाभ में शनि का गोचर आपके लिए सफलता के नए द्वार खोलेगा, यह भाव छटे से छटा है इसलिये नौकरी करने वाले जातको को इससे विशेष लाभ होगा वही व्यापारी वर्ग भी इस अवधि में प्रसन्न रहेगा।

लग्न पर दृष्टि आत्म विश्वास को बढ़ाने का काम करेगी वही पंचम पर दृष्टि के कारण प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे जातको को अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है, उच्च की दृष्टि अष्टम भाव में जा रही है तो इस समय आपकी रूचि आस्था, साधना और तंत्र मन्त्र में जा सकती है।

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