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ज्योतिष के नज़रिये से कैसा रहेगा PM मोदी के लिये 2020

By RNI Hindi Desk 
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नया साल दस्तक देने को है और राजनीतिक मतभेद अपने चरम पर है तो ऐसे में आइये जानते है की नरेंद्र मोदी जी के लिए साल 2020 ज्योतिष के नज़रिये से कैसा रहना वाला है ?

साल के अंत में बृहस्पति अपनी मूल त्रिकोण राशि धनु में आ चुके है वही शनि अगले साल की शुरुआत में 24 जनवरी को अपनी राशि मकर में आएंगे वही सितम्बर में राहु भी राशि परिवर्तन करते हुए 23 सितम्बर को मिथुन से वृष में आ जायेगे तो ऐसे में इन सब ग्रहो के परिवर्तन का मोदी जी पर क्या असर रहेगा यह जानते है !

लग्न कुंडली का स्वरुप –

प्रधानमन्त्री जी का जन्म 17 दिसम्बर 1950 को दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर हुआ था, जन्म कालीन नक्षत्र था अनुराधा और 19 डिग्री पर वृश्चिक लग्न है..

कुंडली में बलवान ग्रहों की स्तिथि –

मोदी जी की कुंडली में ग्रहों के सेनापति मंगल चन्द्र के साथ लक्ष्मी योग का निर्माण कर रहे है, मंगल 6टे भाव का स्वामी है और चुकी लग्न में बैठा है इसलिए मोदी जी के अनेक शत्रु बन जाते है, लेकिन लग्नेश का लग्न में ही बैठकर भाग्य स्थान के स्वामी के साथ नीच भंग राजयोग { इसकी चर्चा हम कभी भविष्य में करेगे } बनाना यह कुंडली का सबसे बलवान पक्ष है.

भाग्य स्थान का स्वामी अगर 6टे भाव के स्वामी के बलवान होकर बैठे तो वह शत्रु हन्ता योग होता है और मोदी जी की कुंडली में यह योग है, जो इनसे दुश्मनी लेगा वह स्वत ही नष्ट हो जाएगा.

मंगल के कारण इनकी कुंडली में पंच महापुरुषों में से एक रुचक योग भी बन रहा है जिसके कारण इनके पास अद्भुत शौर्य है और ऐसा इंसान निर्णय लेने से पीछे नहीं हटता, नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक, धारा 370 हटाना और अब नागरिकता विधेयक ये सब इसके जीते जागते उदाहरण है।

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आगे नजर में डाले तो लाभ स्थान में उच्च के बुद्ध से बन रहा बुद्ध आदित्य योग इन्हें चर्चा में बनाये रखता है, ऐसा इंसान जहाँ भी जाएगा मित्र बनाएगा, वह अपनी छवि और सोच से दुसरो को प्रभवित करता है, बुद्ध के बलवान होने के कारण हो इनके पास देश को लेकर एक विज़न है.

प्रधानमन्त्री का व्यक्तित्व –

संन्यास के कारक शनि केंद्र के स्वामी होकर केंद्र में ही विराजमान है जिसके कारण केंद्र आधिपत्य योग का निर्माण हो रहा है, यहाँ समझने वाली बात यह है की मोक्ष कारक भाव यानी 12 वे भाव का स्वामी शुक्र शनि के साथ है जिस पर गुरु की दृष्टि है जो खुद केंद्र में बैठा है, इस दुर्लभ योग के कारण ही इन्होने घर छोड़ा है.

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राजनीति में शनि प्रजा का कारक है और उस पर शुभ ग्रह गुरु का प्रभाव है जिसके कारण प्रजा में इनकी छवि एक इमानदार नेता की बनी हुई है, व्यापार का कारक बुद्ध केतु के साथ है और ये दोनों सूर्य के नक्षत्र में है और यही कारण है की इनकी विदेश यात्राओ से ये निवेश लाने में सफल हो पाते है और गुजरात में इन्होने यही करके दिखाया था.

सप्तम भाव यानी संघटन का भाव, स्वामी पाप ग्रह के साथ वही उस स्थान पर मंगल की सप्तम दृष्टि जिसके कारण इनके अपनी ही सहयोगी पार्टियों के नेताओ से मतभेद होते रहते है.

PM मोदी का मुख्यमंत्री काल –

मोदी जी पहली बार 2001 में शुक्र और बुद्ध के काल में मुख्यमंत्री बने, शुक्र  शनि और गुरु के प्रभाव में है वही उच्च का बुद्ध केतु और राहू के प्रभाव में है जिसके कारण विवाद भी हुए, वही दिसम्बर 2002 से दिसम्बर 2007 तक पूर्णकालीन मुख्यमंत्री ये रहे, कारण था गुरु का अंतर ..

दिसम्बर 2007 से 12 तक तीसरी बार मुख्यमंत्री बने तब सूर्य में शनि का अंतर था, शनि के उपर केंद्र में बैठे राजयोग बना रहे गुरु की दृष्टि के कारण कोई हानि नहीं हुई लेकिन सूर्य पर राहू का प्रभाव और न्य्यापालिका के कारक शनि का दशम पर बैठना, जिसके कारण अदालतों के चक्कर लगे, छवि विवादित रही लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ.

जैसे ही भाग्य स्थान के स्वामी चंद्रमा की महादशा आई इनकी लोकप्रिय छवि देश विदेश में असर छोड़ने लगी, परम राजयोग कारक गुरु की अन्तर्दशा में इन्होने अपनी पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलवाया, महादशा का स्वामी चंद्रमा नीच भंग राजयोग बना रहा है जिसके कारण इनको कोई भी चुनौती देने में सक्षम नहीं हुआ और रुचक योग बना रहे मंगल के अंतर में इन्होने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली.

दूसरी बार बने प्रधानमंत्री –

लोकसभा चुनाव के समय गुरु का गोचर लग्न में था जिसने शुभता दी वही शनि जिसका गोचर दुसरे भाव में है वो भी अब उदय हो गया है, शनि की साढे साती अंतिम चरण में थी, मई में चंद्र की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा थी वही सूक्ष्म चल रहा था शनि का जो की केन्द्रधिपत्य राजयोग बना रहा है इस कारण वो दोबारा प्रधानमंत्री बन गए।

वर्तमान में ग्रहों दशा का फल –

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मोदी जी की वर्तमान में चंद्र की महादशा और सूर्य की अंतर्दशा में है, सूर्य दशम भाव का स्वामी होकर लाभ स्थान में उच्च के बुद्ध और केतु के साथ है जिस पर राहु का प्रभाव है. सूर्य अपने ही नक्षत्र में है जिसके कारण वो अत्यंत बलवान है और इसके फलस्वरूप उन्हें अपने मंत्रियो का भरपूर सहयोग मिलेगा और उनकी लोकप्रियता में वृद्धि होगी।

2020 में ग्रहों के गोचर का परिणाम –

वर्तमान में ग्रहो का गोचर देखे तो बृहस्पति धनु राशि में है जो की उनकी मूल त्रिकोण राशि में है, वही 24 जनवरी को शनि जब मकर राशि में आयेगा तो वो साढ़े साती से पूर्णतया मुक्त हो जायेगे जिसके कारण उनके पराक्रम भाव से शनि ग्रह का गोचर होगा।

ज्योतिष में एक सिद्धांत है की पाप ग्रह का गोचर तीसरे, छटे और ग्यारहवे भाव में शुभ फल देता है, यह शनि उनके अंदर अदम्य साहस देगा और वो सरकार के एजंडे में शामिल जनसंख्या नियंत्रण और यूनिफार्म सिविल कोड जैसे मुद्दों पर आगे बढ़ सकते है। शनि ज्योतिष में प्रजा का कारक है तो ऐसे में देश की जनता का समर्थन मोदी जी के लिए बना रहेगा।

वही वाणी भाव में हो रहा गुरु का गोचर उनकी पार्टी के लिए फायदेमंद रहने वाला है, विदेश में उनकी वाणी से कई बड़े मुद्दों पर दुनिया ध्यान जायेगा, 2020 का मूलांक 4 है जो की राहु का अंक है और साल की शुरुआत बुद्धवार से हो रही है और उच्च के बुद्ध के कारण मोदी जी सोशल मीडिया पर भी सुपरहिट रहने वाले है।

2020 में दूसरा बड़ा परिवर्तन होगा जब जून से 3 महीने के लिए गुरु शनि के साथ आयेगे और नीच भंग राजयोग का निर्माण होगा, शनि और गुरु दोनों की भाग्य स्थान पर दृष्टि के कारण इन 3 महीनो में वो देश को भरोसे में लेकर कोई बड़ा निर्णय ले सकते है।

तीसरी सबसे बड़ी घटना होगी जब राहु का गोचर 23 सितम्बर से मिथुन से राहु में होगा, मोदी जी के लिए यह गोचर सप्तम में होगा और राहु की दृष्टि मंगल की राशि पर रहेगी जो की लग्न में है, इसके कारण अति उत्साह के कारण उनको कोई नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अंत में नया वर्ष मोदी जी के लिए कई मायनो में अनुकूल रहेगा और वो हमेशा की तरह अपने निर्णयों से देश को चौका सकते है।

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