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ज्योतिष में चंद्र ग्रह और उनका सामान्य परिचय जानिए

By RNI Hindi Desk 
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वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण सूत्र है और वो है फलित विचार, दरअसल भविष्य में होने वाली किसी भी घटना के बारे में विचार करने को फलित विचार कहते है, फलित सूत्र में नॉर्मली 9 ग्रह, 12 भाव और 27 नक्षत्रो से विचार किया जाता है।

फलित में 9 ग्रह है, सूर्य -चन्द्रमा-मंगल – बुध -गुरु-शुक्र-शनि, ये 7 मूल ग्रह माने गये है वही 2 ग्रह राहु केतु छाया ग्रह माने गए है, राहु केतु सदैव एक दूसरे से सप्तम होते है और विपरीत यानी वक्री गति से ही चलते है तो आइये इस लेख में हम जानते है चन्द्रमा ग्रह के बारे में और ज्योतिष में उसकी क्या उपयोगिता है।

दरअसल चंद्र को ज्योतिष में रानी का दर्जा प्राप्त है, इसे स्त्री ग्रह का दर्जा प्राप्त है, वैदिक ज्योतिष में चन्द्रमा मन का कारक है और इसे कर्क राशि का स्वामित्व प्राप्त है, अमावस्या की और बढ़ता हुआ चन्द्रमा कमजोर होता है वही पूर्णिमा की और बढ़ता हुआ चन्द्रमा बलवान होता है वही बात करे तो रोहिणी, हस्त और श्रणव नक्षत्र का यह कारक है।

राशियों में वृष राशि जिसका स्वामी शुक्र है इसकी उच्च राशि होती है और वृश्चिक राशि जिसका स्वामी मंगल है इसकी नीच राशि होती है। वृष के 3 अंश तक चन्द्रमा अत्यधिक बलवान हो जाता है उसमे भी अगर जन्म पूर्णिमा के आस पास हो।

आकार में यह छोटा ग्रह है लेकिन इसकी गति बहुत तेज़ होती है, शनि एक राशि में ढाई साल संचरण करता है लेकिन चन्द्रमा सिर्फ ढाई दिन में एक राशि में गोचर कर लेता है। चन्द्रमा एक स्त्री ग्रह है जिसके कारण यह जातक को सुन्दर, आकर्षक और गुणी बनाता है वही कवि अगर कोई बनता है उसमे भी चन्द्रमा का योगदान जरूर होता है।

अब बात करते है बलवान चंद्र के फल की, तो अगर किसी की जन्मपत्री में अपनी राशि का, उच्च राशि का चंद्र हो तो जातक मानसिक रूप से बहुत मजबूत होगा, उसका माता पक्ष बलवान रहता है वही ऐसे जातको के व्यक्तित्व पर अपनी मां का प्रभाव देखने में आता है, अगर शुक्र बलवान हो तो संपत्ति भी उसे प्राप्त होती है।

वही अगर किसी की जन्मपत्री में बलहीन चन्द्रमा हो तो ऐसा जातक मानसिक रूप से मजबूत नहीं होता है, क्यूंकि चन्द्रमा मुख्य कारक मन का है। ऐसा जातक भयभीत रहेगा वही 10 बार समझाने के बाद भी वो बात को नहीं समझता है। ऐसे इंसान की मां का स्वास्थ्य कमजोर रहता है, वही अगर बलहीन चंद्र पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो तो ऐसा व्यक्ति आत्महत्या भी कर सकता है।

अगर कार्य की बात करे तो व्यक्ति की कुंडली के दशम भाव से उसकी आजीविका का विचार किया जाता है, अगर चंद्र का सम्बन्ध दशम और दशमेश से बने तो ऐसा जातक जल से समबन्धित कार्य, पशुधन, डेयरी और दूध से बने उत्पादों से धन कमाता है।

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