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चंद्र ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति का फल कैसा होगा: समझिए

By RNI Hindi Desk 
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पिछले लेख में मैंने आपको समझाया की चंद्र ग्रह का ज्योतिष में सामान्य परिचय क्या है तो इस लेख में हम बात करते है की चन्द्रमा की अगर अन्य ग्रहों के साथ युति होगी तो ग्रह कैसा फल करेगा !

1- चंद्र सूर्य युति –

ज्योतिष के नज़रिये से चन्द्रमा स्त्री ग्रह है और मन का कारक है, सूर्य को आत्मा का दर्जा प्राप्त है तो ऐसे में सूर्य और चंद्र की युति अगर शुभ भाव में हो तो यह काफी अच्छा फल देती है, जातक की कल्पना शक्ति जबरदस्त होती है वही उच्च पद पर सरकारी नौकरी करे और साहित्य की समझ रखने वाला होता है।

सूर्य से सरकारी नौकरी और उच्च पद का विचार किया जाता है, ऐसा जातक सरकारी नौकरी करेगा और उसमे भी अच्छी तरक्की पायेगा, इस योग से उच्च अधिकारियो से सम्बन्ध मधुर रहते है।

2 – चंद्र मंगल युति –

ज्योतिष में मंगल अग्नि का कारक है, मंत्रिमंडल में सेनापति है और मनुष्य में क्रोध का कारक है वही चन्द्रमा मन का कारक है तो ऐसे में जब चंद्र और मंगल की युति होती है तो जातक साहसी हो जाता है, ज्योतिष में इसे लक्ष्मी योग बोला जाता है। जातक महत्वकांशी होगा लेकिन अगर मंगल की पोजीशन अच्छी नहीं हो या बलवान नहीं हो तो ब्लड सर्कुलेशन ठीक नहीं होगा और रक्त सम्बन्धी बीमारियां होगी।

3 – चंद्र बुध युति –

बुध ज्योतिष में तर्क, विवेक, ज्ञान, खेल, गणित, ज्योतिषी है। चंद्र जब बुध के साथ युति करता है तो जातक बहुत पढ़ने लिखने वाला होता है, बुध राजयोग बनाकर बैठ जाए तो जातक धनवान हो जाएगा, बड़ा लेखक होगा, पत्रकार हो जाएगा।

चंद्र मन का कारक है तो बुध के साथ जिसका जुड़ाव हो जाए तो जातक बहुत अच्छी कहानियां लिखता है, बहुत बड़ा उपन्यास लिखें वाला होता है, बुध वकील है, ज्योतिषी है, गणितज्ञ है तो ऐसा आदमी बहुत बढ़िया ज्योतिषी हो जाएगा, कहते है की बुध के सहयोग के बिना कोई ज्योतिषी नहीं बन सकता तो चंद्र बुध की युति सोने पर सुहागा का काम करती है।

4 – चंद्र गुरु युति –

ज्योतिष में गुरु ज्ञान का कारक है, पंडित हैम मंदिर को दर्शाता है, वेद है पुराण है शास्त्र है। चंद्र गुरु की युति से गजकेसरी योग का निर्माण होता है, यह एक प्रकार का बेहतरीन राजयोग होता है जिससे जातक अत्यधिक बुद्धिमान, गंभीर और मंत्रो का ज्ञाता हो जाएगा। अगर स्त्री की कुंडली में यह योग है तो ऐसी स्त्री का पति बहुत धनी और गुणी होता है।

ऐसा व्यक्ति बहुत बढ़िया टीचर होगा, जिसका बृहस्पति अच्छा होता है वो नेचुरल टीचर होता है उसमे अगर चन्द्रमा का गुण आ जाए तो ऐसा जातक उच्च कोटि का वक्ता होता है, अगर वाणी भाव से सम्बन्ध बन जाए तो उस व्यक्ति के लाखो श्रोता होंगे।

5 – चंद्र शुक्र युति –

शुक्र स्त्री ग्रह है, ज्योतिष में इससे भोग का विचार किया जाता है, समस्त भौतिक सुख सुविधा शुक्र के ही आधीन है तो जब चन्द्रमा शुक्र के साथ युति करता है तो सबसे पहले तो जातक बहुत ही सुन्दर होगा, कला प्रेमी होगा। शुक्र से संगीत का भी विचार किया जाता है तो ऐसे जातक को संगीत की अच्छी समझ होगी वही जो संगीतकार भी बन सकता है।

स्त्री की कुंडली में यह योग उसे बहुत अधिक आकर्षक बना देता है, वो महत्वकांशी होती है , उच्च पद पर नौकरी करती है लेकिन इस योग में अगर मंगल आ जाये तो जातक कामुक हो जाता है ऐसे में उसके एक से अधिक सम्बन्ध बन जाते है और विवाह के बाद बड़ी समस्याओ का सामना करना पड़ जाता है।

6 -चंद्र शनि युति –

शनि न्याय का कारक है, नौकर है, ईमानदार है तो ऐसे में चंद्र शनि युति जातक को काफी हद तक भावुक और ईमानदार बना देती है लेकिन फलित में इस योग को विष योग कहा जाता है, शनि पाप ग्रह है और चंद्र भावुक ग्रह है।

चंद्र और शनि की युति जातक को अनजाना भय देती है, वो पागल हो सकता है अगर युति में कोई और पाप ग्रह आ जाये , अगर चंद्र राहु शनि दोनों के साथ हो और उसके आगे पीछे कोई और ग्रह ना हो तो जातक उसकी दशा अन्तर्दशा में जातक का मन बहुत चंचल हो जाता है, वो कोई गलत कदम उठा सकता है।

7 – चंद्र राहु युति –

राहु ज्योतिष में छाया ग्रह है, इसे पाप ग्रह की संज्ञा प्राप्त है और राहु सूर्य से इसकी शत्रुता है, चंद्र जब राहु के साथ युति करता है तो इसे ग्रहण योग बोला जाता है। मानसिक रूप से अस्थिर मनुष्य हो जाता है जब राहु चंद्र साथ आये लेकिन राहु शोध है, अगर यह योग केंद्र त्रिकोण में बलवान होकर बने तो ऐसा व्यक्ति अपने दिमाग को रिसर्च में लगा देता है और जबरदस्त शोधकर्ता हो जाता है। राहु दवाई का कारक है तो ऐसे व्यक्ति को दवाई की बहुत बढ़िया समझ होती है।

8 – चंद्र केतु युति –

ज्योतिष में केतु को आकस्मिक घटनाओ और अकाल मृत्यु का कारक माना गया है लेकिन इसी के साथ साथ केतु को आध्यत्मिकता का भी कारक माना गया है। चन्द्रमा और केतु की युति में अक्सर ऐसा देखा जाता है की जातक की माँ बीमार रहती है , उसे मौसमी बीमारी होती है और फोड़े फुंसी से भी परेशान रहता है।

अगर यह योग बलवान हो जाए और केंद्र त्रिकोण का स्वामी इस योग में आकर योगकारक हो जाए तो ऐसा व्यक्ति जबरदस्त ज्ञानी हो जाएगा, केतु तंत्र मन्त्र की सिद्धि का कारक हैं, केतु राजयोग बना दे तो ऐसा जातक मन्त्र सिद्धि प्राप्त करेगा, जबरदस्त ज्योतिषी और त्रिकाल दर्शी होता है।

तो आज इस लेख में मैंने आपको बताया चंद्र की अन्य ग्रहो की युति के बारे में , अगले लेख में जानेगे

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