हिन्दू धर्म में मंदिर में या किसी भी देवी और देवता के समक्ष प्रसाद चढ़ाने की परम्परा आदि काल से रही है, माना जाता है की प्रसाद चढ़ाने से देवता प्रसन्न होते है। कई बार लोग अपने आराध्य को भोग लगाते हुए यह भूल जाते है की उन्हें कौनसा प्रसाद प्रिय है तो आज हम यह जानेगे की किस देवता को कौनसा भोग प्रिय है।
गणेश जी शिव और गौरी के पुत्र है और उन्हें देवताओ में सबसे पहले पूजा जाता है, गणेश जी महाराज को एकदन्त भी बोला जाता है , परशुराम ने क्रोधित होकर उनके ऊपर प्रहार किया था क्यूंकि उन्होंने उन्हें शिव जी से मिलने से मना कर दिया था।
गणेश जी को गज्नानं भी बोला जाता है क्यूंकि माता पार्वती ने उन्हें ये आदेश दिया था की किसी को भी अंदर प्रवेश ना दे, शिव के ज़िद करने के बाद भी गणेश जी नहीं माने और उनका सर धड़ से अलग कर दिया, बाद में शोक में डूबी पार्वती को प्रसन्न करने हेतु उन्हें हाथी का सर लगाया गया।
गणेश जी को दूर्वा बेहद प्रिय है, वही उन्हें मोदक यानी लड्डू भी प्रिय है। महाराष्ट्र में तो गणेश उत्सव के दौरान अनेक प्रकार के लड्डू बनते है, गणेश जी को बेसन और मोतीचूर के लड्डू बेहद पसंद है इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप इन्ही सब का भोग लगाइये।
भगवान विष्णु के बारे में जाना जाता है की वो समस्त ब्रह्मंड के स्वामी है और भगवान लक्ष्मी उनके ह्रदय पर निवास करती है, भगवान् विष्णु त्रिदेवों में प्रधान है और उन्हें इस समस्त संसार का पालन करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है।
भागवतम के पहले स्कंध में इस बात का जिक्र है की विष्णु के नाभिकमल से ही ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई और उसके बाद विष्णु जी से प्रेरणा लेकर उन्होंने संसार का निर्माण किया।
भगवान विष्णु को मुख्यतया खीर या सूजी के हलवे का भोग लगता है। भगवान विष्णु को चरणामृत प्रिय है, और बिना तुलसी के पत्ते के बिना उन्हें कोई भोग नहीं लगता।
भगवान शंकर को देवो के देव महादेव भी कहा जाता है, समुद्र मंथन में से निकले विष को ग्रहण करने के कारण वो नील कंठ कहलाये वही जल्दी प्रसन्न होने के कारण उनका नाम आशुतोष भी पड़ा।
भगवान शंकर को सबसे प्रिय है बिल्वपत्र, मनुष्य जल से अभिषेक करते हुए अगर बिल्वपत्र चढ़ाये तो शिव हर्षित होते है।
प्रसाद की बात करे तो शिव को पंचामृत बेहद पसंद है, दूध दही घी शहद और शक़्कर से बना यह प्रसाद शिव के अभिषेक के बाद वितरित किया जाता है, श्रावण महीने में शिव जी को दूध दही से अभिषेक बेहद पसंद है वही उनका निवास शमशान माना जाता है तो उन्हें भांग भी चढ़ती है।
हनुमान जी अमर है क्यूंकि उन्हें अशोक वाटिका में माता सीता के हाथो अमर होने का वरदान प्राप्त हुआ था, हनुमान जी बंदर के रूप में शिव के रूद्र अवतार है और उन्होंने त्रेता युग में भगवान राम के सेवक बनकर उनकी अनेक प्रकार से सहायता की।
हनुमान जी को पंच मेवा, बूंदी, पान और केसर प्रिय है और उन्हें ऐसी चीज़ो का ही भोग लगाना उचित रहता है , आगे अगर हम देखे तो चुकी हनुमान जी महाराज वानर रूप में है तो उन्हें गुड़ और चने का भी भोग लगाया जाता है क्यूंकि वानर को चने प्रिय है।
भगवान श्री कृष्ण को विष्णु के अवतारों में गिना जाता है, द्वापर युग में उन्होंने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था जिसे वेदो का सार बोला जाता है. कृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से हुआ था लेकिन कंस के कारागार में होने के कारण उनका पालन पोषण यशोदा और नन्द बाबा ने किया।
मथुरा, वृन्दावन और बरसाना के कण कण में कृष्ण लीला मौजूद है और बृजवासी आज भी बड़े आनंद से कृष्ण लीलाओ का गुणगान करते है, भोग की बात करे तो कृष्ण जी को माखन मिश्री बेहद पसंद है क्यूंकि बचपन में भी वो माखन खाया करते थे, कृष्ण को नटखट माखन चोर भी उनकी माँ यशोदा बुलाया करती थी।
माखन मिश्री के अलावा लड्डू और खीर का भोग भी भगवान कृष्ण को लगाया जाता है वही गिरिराज जी की परिक्रमा भी उन्हें प्रसन्न करने के लिए की जाती है क्यूंकि भगवान ने गोवर्धन वासियों की बारिश से रक्षा करने के लिये गिरिराज पर्वत को ऊँगली पर उठा लिया था।